इक्कीसवीं सदी का चाल चलन बिगड़ गया है। राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय नीतिकारों और रणनीतिकारों ने जो आख्यान रचा है उससे साफ है कि यह सदी किसी महान विचार की नहीं बल्कि अन्याय और हथियारों की सदी होने जा रही है। जाहिर है कि इसे न्याय और शांति की सदी बनाने के लिए नए किस्म के युद्ध की आवश्यकता होगी। हम देखें या न देखें, कहें या न कहें लेकिन पूंजी के वैश्वीकरण को पलटने के नए अभियान के तहत साम्राज्यवाद अब नए रूप में उपस्थित हो रहा है।
हथियार और अन्यायः सदी का बड़ा संकट, इस पाप में अमेरिका-इसराइल शामिल
- विश्लेषण
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- 15 Jul, 2025

21वीं सदी महान विचारों के युग में नहीं, बल्कि अन्याय, सैन्यवाद और साम्राज्यवाद के नए रूपों के युग में बदल रही है। अमेरिका जैसे देश अब खुलेआम अपने आर्थिक एजेंडे को थोप रहे हैं। ऐसे में गांधी-नेहरू-लोहिया के विचार क्यों जरूरी हैं, पढ़िएः
लेखक महात्मा गाँधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय में प्रोफ़ेसर रहे हैं। वरिष्ठ पत्रकार हैं।