2014 से पहले सावरकर का भी हर वर्ग में ठीक ठाक सम्मान था। कांग्रेस के नेता भी कभी सावरकर की बुराई नहीं करते थे जबकि सावरकर महात्मा गांधी की हत्या के आरोपी रहे थे, जिसमें वह conclusive evidence के अभाव में बचे थे, circumstantial evidence उनके विरुद्ध होने के बावजूद।