भारत और रूस (पूर्व में सोवियत संघ) के बीच की दोस्ती दशकों से वैश्विक मंच पर एक मिसाल रही है। यह संबंध न केवल रणनीतिक और सैन्य सहयोग पर आधारित था, बल्कि वैचारिक एकता और आपसी विश्वास का भी प्रतीक था। लेकिन हाल के वर्षों में, खासकर ऑपरेशन सिंदूर के दौरान, रूस की तटस्थता ने कई सवाल खड़े किए हैं। क्या भारत का अमेरिका की ओर झुकाव इसका कारण है? क्या रूस-यूक्रेन युद्ध में भारत की तटस्थता रूस को खल रही है? कहीं मोदी सरकार की नीतियाँ रूस को पाकिस्तान और चीन की ओर तो नहीं धकेल रही है?