राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) एक ऐसा संगठन है, जिसके प्रभाव को आज भारत की सत्ता और समाज के विभिन्न क्षेत्रों में देखा जा सकता है। लेकिन अपने शताब्दी वर्ष में प्रवेश कर चुके इस संगठन को अब तक तीन बार प्रतिबंध का सामना करना पड़ा है। पहला प्रतिबंध तो महात्मा गाँधी की हत्या से संबंधित था जब गृहमंत्री सरदार पटेल ने कहा था कि आरएसएस के बनाये विषाक्त वातावरण की वजह से महात्मा गाँधी की जान गयी। इसके बाद इमरजेंसी के दौरान और बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद भी संघ पर प्रतिबंध लगा, लेकिन जल्दी ही उसे राहत मिल गयी।
सौ साल में तीन बार क्यों बैन हुआ RSS?
- विश्लेषण
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- 2 Jul, 2025

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर पिछले सौ वर्षों में तीन बार प्रतिबंध क्यों लगाया गया? जानिए हर बार के राजनीतिक, सामाजिक और कानूनी कारण और उससे जुड़े विवादों की पूरी कहानी।
RSS पर पहला प्रतिबंध
30 जनवरी 1948 को दिल्ली के बिरला भवन में नाथूराम गोडसे ने महात्मा गाँधी के खुले सीने र तीन गोलियाँ मारकर उनकी हत्या कर दी थी। गांधीजी ने सत्य और अहिंसा के अनोखे प्रयोग के बल पर भारत को आजादी दिलाई थी। वे एक ऐसे भारत का सपना देखते थे, जहां हिंदू, मुस्लिम सहित सभी अल्पसंख्यक समुदाय समान नागरिक भाव के साथ रहते हों। लेकिन आरएसएस की शाखाओं में प्रशिक्षित और हिंदू महासभा नेता विनायक दामोदर सावरकर के शिष्य नाथूराम गोडसे की नज़र ये बड़ा गुनाह था और उसने दुनिया को रोशनी देने वाली एक महाज्योति बुझा दी। गोडसे 'संघी राष्ट्रवादी’ था जो पिस्तौल चलाना जानता था लेकिन किसी अंग्रेज़ पर कंकड़ भी नहीं फेंका जबकि महात्मा गाँधी की जान ले ली। वह आजाद भारत का पहला आतंकवादी था।