इथेनॉल वाले पेट्रोल पर सवालों की बौछारों से घिरी सरकार क्या इससे निपटने के लिए अब इन्फ्लुएंसर्स का सहारा ले रही है? यदि इथेनॉल में सबकुछ ठीक है तो फिर इस तरह के प्रचार की ज़रूरत क्यों पड़ रही है? ये सवाल इसलिए क्योंकि देश में इथेनॉल-मिश्रित पेट्रोल यानी E20 को लेकर पिछले कुछ समय से तीखी बहस छिड़ी हुई है। सोशल मीडिया पर इथेनॉल वाले पेट्रोल से गाड़ियों के ख़राब होने के आरोप लगाए जा रहे हैं और पेट्रोल के सस्ता नहीं किए जाने के लिए केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी और सरकार को घेरा जा रहा है।
इथेनॉल मिले पेट्रोल पर हंगामा: सरकार ने प्रचार में इन्फ्लुएंसर्स को क्यों लगाया?
- सोशल मीडिया
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- 16 Aug, 2025
इथेनॉल मिश्रित पेट्रोल को लेकर बढ़ते विवाद के बीच सरकार ने इसके प्रचार के लिए सोशल मीडिया इंफ्लुएंसर्स को शामिल किया है? इस रणनीति के पीछे की वजह क्या है?

दरअसल, सरकार ने पर्यावरण संरक्षण और ऊर्जा आत्मनिर्भरता के लिए पेट्रोल में 20% इथेनॉल मिलाने का लक्ष्य तय किया था। इसे 2025 में समय से पहले हासिल कर लिया गया। भारत सरकार ने पर्यावरण को स्वच्छ रखने, कार्बन उत्सर्जन को कम करने और कच्चे तेल के आयात पर निर्भरता घटाने के लिए 2014 से इथेनॉल ब्लेंडिंग कार्यक्रम को तेजी से लागू किया। 2014 में जहां पेट्रोल में केवल 1.5% इथेनॉल मिलाया जाता था, वहीं 2025 तक यह 20% तक पहुंच गया। केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने 24 जुलाई 2025 को दावा किया था कि इस नीति से 1.36 लाख करोड़ रुपये की बचत हुई और 698 लाख टन कार्बन उत्सर्जन कम हुआ। इसके अलावा गन्ना और मक्का जैसे कृषि उत्पादों से इथेनॉल उत्पादन बढ़ने से किसानों को 1.18 लाख करोड़ रुपये का लाभ हुआ।