जेएनयू के छात्रसंघ चुनाव में वामपंथी पैनल की ज़बरदस्त जीत की पूरे देश में चर्चा है। मोदी सरकार बनने के बाद से ही यह विश्वविद्यालय और यहाँ के वामपंथी छात्रसंगठन लगातार सरकार के निशाने पर रहे हैं। इस विश्वविद्यालय को देशद्रोहियों के अड्डे के रूप में प्रचारित किया गया। मीडिया ने इसके लिए फ़र्ज़ी क़िस्से गढ़ने में कोताही नहीं बरती, लेकिन दमन के दास साल बाद, सारे सत्ता संरक्षण के बावजूद अगर जेएनयू के छात्रों ने आरएसएस के छात्रसंगठन एबीवीपी को नकारा और वामपंथी पैनल का समर्थन दिया तो यह सामान्य बात नहीं है।