चिराग पासवान का दायरा भी सीमित है। चिराग को काबू में रखने के लिए बीजेपी ने पहले उनके चाचा पशुपति पारस को आगे किया। मोदी भक्ति और जन समर्थन के कारण चिराग को लोकसभा चुनावों से पहले अपने पिता रामबिलास पासवान की विरासत वापस मिल गयी। लेकिन पशुपति भी अब तक बीजेपी के दर पर ही पड़े हुए हैं।