कौन कर रहा है मणिपुर की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ः यह कौन लोग हैं, जो पहले कहते हैं कि मणिपुर में म्यांमार की सीमा से 900 हथियारबंद कूकी उग्रवादी घुस आये हैं, उनके पास कौन कौन से हथियार हैं और वे कितनी टुकड़ियों में बंटे हैं, और किस तारीख को हमला करने वाले हैं। और फिर कहते हैं कि ये सारी सूचनाएं जमीन पर गलत साबित हुईं। कमाल है! य़े सूचना किसी वाट्सएप्प यूनिवर्सिटी की सूचना तो थी नहीं। बाकायदा इस सूचना की पुष्टि मणिपुर में राज्य के सुरक्षा सलाहकार के तौर पर तैनात वरिष्ठतम अधिकारी की है। क्या देश की सुरक्षा के साथ यह मजाक राज्य की पहले से ही नाकारा साबित हो चुकी मुख्यमंत्री एन बीरेन्द्र सिंह की सरकार की भयंकर छीछालेदर के साथ-साथ केन्द्र की प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार पर गंभीर सवाल खड़े नहीं करता?
सबसे बड़ा सवाल यह है कि अगर 900 हथियारबंद कूकी उग्रवादी म्यांमार से सीमा पार कर मणिपुर में घुसे, तो सीमा पर तैनात असम राइफल्स क्या कर रही थी? जब दैनिक संगाई एक्सप्रेस ने अपने संपादकीय में इस मुद्दे पर तीखे सवाल उठाए कि: "जब 900 उग्रवादी सीमा पार कर भारत में प्रवेश कर सकते हैं, तो सीमा की सुरक्षा का क्या मतलब रह जाता है?"
केंद्र सरकार की चुप्पी: क्या कोई राजनीतिक खेल चल रहा है? केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मणिपुर की हिंसा के पीछे सीमा पार से हो रही घुसपैठ को मुख्य कारण बताया था। लेकिन इसके कुछ ही दिनों बाद, 900 उग्रवादियों की घुसपैठ की रिपोर्ट आई, जो अब झूठी साबित हो रही है। इसके बावजूद, केंद्र सरकार की तरफ से कोई ठोस प्रतिक्रिया नहीं आई है। क्या एजेंसियां उन्हें बरगला रही हैं या राज्य सरकार? संगाई एक्सप्रेस ने अपने हालिया संपादकीय में गंभीर संकेत किये हैं, "इस पूरे घटनाक्रम से लगता है कि दिल्ली कोई खेल खेल रही है, और इससे मणिपुर के लोगों में और भ्रम की स्थिति पैदा हो रही है।"