OBC समुदाय, अपनी 40-42% आबादी के साथ, महाराष्ट्र की राजनीति में एक निर्णायक वोट बैंक है। इसका प्रभाव क्षेत्रीय स्तर पर भिन्न है:
पश्चिमी महाराष्ट्र: मराठा और धनगर (NT-C) का प्रभाव। धनगर ST में शामिल होने की मांग कर रहे हैं।
मराठवाड़ा और विदर्भ: कुनबी और अन्य OBC जातियाँ मजबूत हैं। हैदराबाद गजट के आधार पर मराठों को कुनबी प्रमाणपत्र देने का फैसला OBC की नाराजगी को बढ़ा रहा है।
मुंबई और कोंकण: OBC की आबादी कम है, लेकिन मराठा और अन्य समुदायों का प्रभाव अधिक है।
बीजेपी ने OBC को साधने के लिए स्वरोजगार और छात्रवृत्ति योजनाएँ लागू की हैं, लेकिन मराठा आरक्षण का मुद्दा इस संतुलन को बिगाड़ सकता है। 2024 के लोकसभा चुनावों में OBC की नाराजगी के कारण बीजेपी को कुछ सीटों पर नुकसान हुआ था।
महायुति गठबंधन (बीजेपी: 122 सीटें, शिवसेना-शिंदे: 40, NCP-अजित: 41) मजबूत है, लेकिन भुजबल का विरोध गठबंधन में दरार डाल सकता है। OBC और मराठा, दोनों बड़े वोट बैंक हैं, और इनके बीच संतुलन बनाना सरकार के लिए चुनौती है।
कोर्ट का रुख
मराठा आरक्षण का इतिहास कानूनी चुनौतियों से भरा है:
- 1992 (इंदिरा साहनी फैसला): सुप्रीम कोर्ट ने 50% आरक्षण सीमा तय की।
- 2014: पृथ्वीराज चव्हाण सरकार का 16% मराठा आरक्षण रद्द।
- 2018: फडणवीस सरकार ने SEBC एक्ट के तहत 16% आरक्षण दिया, जिसे बॉम्बे हाई कोर्ट ने 12-13% तक घटाया।
- 2021: सुप्रीम कोर्ट ने मराठा आरक्षण को असंवैधानिक ठहराया।
- 2024: MSBCC की रिपोर्ट के आधार पर 10% आरक्षण का विधेयक पारित, लेकिन यह भी कोर्ट में चुनौती का सामना कर सकता है।
हैदराबाद, सतारा, और औंध गजट के आधार पर मराठा को कुनबी प्रमाणपत्र देने का फैसला भी कानूनी जांच का सामना कर सकता है।