नेता प्रतिपक्ष राहुल गाँधी ने हरियाणा विधानसभा चुनाव को लेकर जो रहस्योद्घाटन किया है, उसके बाद हरियाणा ही नहीं, बीजेपी की कई राज्य सरकारों और केंद्र की सरकार के वैध होने पर संदेह पैदा हो गया है। ये साफ़ हुआ है कि चुनाव आयोग के सिस्टम के बाहर भी कोई सिस्टम है जो मतदाता सूची को घटाने-बढ़ाने का खेल कर रहा है। चुनाव आयोग के पास डुप्लीकेट वोटर को पकड़ने का सॉफ्टवेयर है लेकिन उसका इस्तेमाल ही नहीं किया जाता। ऐसे में चुनाव आयोग को स्वतंत्र संवैधानिक संस्था की जगह सरकार की पिट्ठू संस्था के रूप में देखा जाना स्वाभाविक है। हैरानी की बात ये है कि राहुल गाँधी के आरोपों का बिंदुवार जवाब देने के बजाय आयोग ‘सूत्रबाज़ी ‘कर रहा है। ऐसे में सवाल है कि क्या भारत अब भी वास्तविक लोकतंत्र है या मोदी राज ने इसे ‘निर्वाचित तानाशाही’ में बदल दिया है जहाँ चुनाव तो होते हैं लेकिन नतीजे नियंत्रित रहते हैं।
राहुल ने साबित किया- मोदी ने लोकतंत्र को ‘निर्वाचित तानाशाही’ में बदला!
- विश्लेषण
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- 6 Nov, 2025


राहुल गांधी ने हरियाणा में 'वोट चोरी' का खुलासा कर यह साबित नहीं किया कि प्रधानमंत्री मोदी ने भारत के लोकतंत्र को अब ‘निर्वाचित तानाशाही’ में बदल दिया है? क्या केंद्र सरकार पर विपक्ष की यह आलोचना वाजिब है?
25 लाख फर्जी वोट!
लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गाँधी ने 5 नवंबर 2025 को दिल्ली में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर आख़िरकार बहुप्रतीक्षित 'हाइड्रोजन बम' फोड़ दिया। उनके आरोप बताते हैं कि हरियाणा विधानसभा के पिछले चुनाव में बड़े पैमाने पर हेराफेरी हुई।
- 25 लाख फर्जी वोट: कुल 2 करोड़ वोटरों का 12.5%।
- डुप्लीकेट वोटर: 5,21,619 नाम दोहराए गए।
- अमान्य एड्रेस: 93,174 वोटरों के पते गलत या असंभव (जैसे 'हाउस नंबर 0'—ट्रैकिंग से बचने की तरकीब)।
- बल्क वोटिंग: 19,26,351 वोटर एक साथ जोड़े गए। एक ब्राजीलियन मॉडल की फोटो को 'सीमा', 'स्वीटी', 'सरस्वती' जैसे नामों से 223 बार इस्तेमाल किया गया।
राहुल ने कहा कि इससे कांग्रेस की भारी जीत को उलट दिया गया। यह 'ऑपरेशन सरकार चोरी' का हिस्सा है। उन्होंने चुनाव आयोग (ECI) पर बीजेपी के साथ मिलीभगत का आरोप लगाया और CEC ज्ञानेश कुमार पर सीधा हमला किया—कहा कि वे 'लोकतंत्र के विनाशकर्ताओं' को संरक्षण दे रहे हैं।


















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