नेता प्रतिपक्ष राहुल गाँधी ने हरियाणा विधानसभा चुनाव को लेकर जो रहस्योद्घाटन किया है, उसके बाद हरियाणा ही नहीं, बीजेपी की कई राज्य सरकारों और केंद्र की सरकार के वैध होने पर संदेह पैदा हो गया है। ये साफ़ हुआ है कि चुनाव आयोग के सिस्टम के बाहर भी कोई सिस्टम है जो मतदाता सूची को घटाने-बढ़ाने का खेल कर रहा है। चुनाव आयोग के पास डुप्लीकेट वोटर को पकड़ने का सॉफ्टवेयर है लेकिन उसका इस्तेमाल ही नहीं किया जाता। ऐसे में चुनाव आयोग को स्वतंत्र संवैधानिक संस्था की जगह सरकार की पिट्ठू संस्था के रूप में देखा जाना स्वाभाविक है। हैरानी की बात ये है कि राहुल गाँधी के आरोपों का बिंदुवार जवाब देने के बजाय आयोग ‘सूत्रबाज़ी ‘कर रहा है। ऐसे में सवाल है कि क्या भारत अब भी वास्तविक लोकतंत्र है या मोदी राज ने इसे ‘निर्वाचित तानाशाही’ में बदल दिया है जहाँ चुनाव तो होते हैं लेकिन नतीजे नियंत्रित रहते हैं।