प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब हाल ही में गुजरात की एक चुनावी सभा में बोले कि अगर सरदार पटेल की बात मानी गई होती तो 1948 में ही पूरा कश्मीर भारत का हिस्सा बन चुका होता, तब उन्होंने सिर्फ़ अपने समकालीन आलोचकों को जवाब नहीं दिया, बल्कि इतिहास के एक पुराने घाव को भी फिर से कुरेद दिया। ऑपरेशन सिंदूर को अचानक रोकने की वजह से आलोचना झेल रहे पीएम मोदी ने अपने बचाव के लिए यह तरीका चुना है। उन्होंने यह भाषण उन्होंने 27 मई को दिया—नेहरू की पुण्यतिथि के दिन। प्रधानमंत्री का यह वक्तव्य एक बार फिर उस प्रचार को हवा देता है, जिसमें नेहरू को कश्मीर मुद्दे का 'खलनायक' और पटेल को संभावित 'उद्धारक' के रूप में पेश किया जाता है।
पर सवाल यह है कि इतिहास में ऐसा कुछ सचमुच था या यह सब सियासी मिथक गढ़े जा रहे हैं?