17 सितंबर 2025 को, जब भारत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का 75वां जन्मदिन धूमधाम से मनाया जा रहा था, रियाद के यमामा पैलेस में एक ऐतिहासिक समझौते पर हस्ताक्षर हो रहे थे। सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान और पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने "स्ट्रेटेजिक म्यूचुअल डिफेंस एग्रीमेंट" पर हस्ताक्षर किये। इस समझौते में रक्षा सहयोग, तकनीकी हस्तांतरण, संयुक्त सैन्य प्रशिक्षण और सैन्य उत्पादन शामिल हैं। भारत के लिहाज़ से इसका सबसे अहम पहलू इसमें यह लिखा जाना है: "एक देश पर हमला, दोनों पर हमला माना जाएगा।"
भारत के लिए नयी चुनौती है सऊदी-पाक सैन्य गठजोड़!
- विश्लेषण
- |
- |
- 19 Sep, 2025

पाकिस्तान सऊदी अरब सैन्य समझौते के दौरान शहबाज शरीफ और सऊदी किंग सलमान
सऊदी अरब और पाकिस्तान के बढ़ते सैन्य गठजोड़ से भारत की सुरक्षा और विदेश नीति पर नए खतरे मंडरा रहे हैं। जानें इस रणनीतिक साझेदारी के संभावित असर।
इसका अर्थ है कि यदि भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध होता है, तो सऊदी अरब पाकिस्तान के साथ खड़ा होगा। यह समझौता भारत के लिए एक गंभीर चुनौती है, खासकर तब जब पाकिस्तान पहले से ही चीन के साथ सैन्य गठजोड़ में है।
समझौता क्यों?
इस समझौते की टाइमिंग अहम है। 9 सितंबर 2025 को इसराइल ने कतर की राजधानी दोहा के लीक्तैफिया इलाके में हवाई हमला किया, जहां हमास के नेता एक अमेरिकी सीजफायर प्रस्ताव पर चर्चा कर रहे थे। इस हमले में पांच हमास सदस्य और एक कतरी सुरक्षा अधिकारी मारे गए। कतर ने इसे "राज्य प्रायोजित आतंकवाद" करार दिया। हैरानी की बात यह थी कि अमेरिका के 8,000-10,000 सैनिक कतर के अल उदेद एयर बेस पर मौजूद थे, लेकिन इसराइली हमला रोकने के लिए कुछ नहीं किया गया। अमेरिका ने इस हमले की वैसी निंदा भी नहीं की जैसी अपेक्षित थी। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का बयान काफ़ी लापरवाही भरा था: "हमने चेतावनी दी थी, लेकिन इसराइल ने अपना फैसला लिया।"