प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का शंघाई सहयोग संगठन यानी एससीओ के शिखर सम्मेलन में राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ गर्मजोशी दिखाना और चीन को आतंकवाद से पीड़ित बताने पर कई सवाल खड़े हो गये हैं। तियानजिन में आयोजित शिखर सम्मेलन में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ का भी स्वागत हुआ जो बताता है कि चीन की नज़र में भारत और पाकिस्तान में कोई फ़र्क़ नहीं है। ऐसा लगता है कि पीएम मोदी न सिर्फ़ चीन के साथ जारी सीमा तनाव को भुला चुके हैं बल्कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान चीन का खुलकर पाकिस्तान का साथ देना भी भुलना चाहते हैं। यानी अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के टैरिफ़ वार से बचने के लिए पीएम मोदी चीन के ख़ेमे में जगह तलाश रहे हैं, पर भारतीय कूटनीति का इस तरह से झूला झूलना देश की प्रतिष्ठा को कमज़ोर करने वाला है।