प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का शंघाई सहयोग संगठन यानी एससीओ के शिखर सम्मेलन में राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ गर्मजोशी दिखाना और चीन को आतंकवाद से पीड़ित बताने पर कई सवाल खड़े हो गये हैं। तियानजिन में आयोजित शिखर सम्मेलन में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ का भी स्वागत हुआ जो बताता है कि चीन की नज़र में भारत और पाकिस्तान में कोई फ़र्क़ नहीं है। ऐसा लगता है कि पीएम मोदी न सिर्फ़ चीन के साथ जारी सीमा तनाव को भुला चुके हैं बल्कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान चीन का खुलकर पाकिस्तान का साथ देना भी भुलना चाहते हैं। यानी अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के टैरिफ़ वार से बचने के लिए पीएम मोदी चीन के ख़ेमे में जगह तलाश रहे हैं, पर भारतीय कूटनीति का इस तरह से झूला झूलना देश की प्रतिष्ठा को कमज़ोर करने वाला है।
SCO: क्या चीन करायेगा भारत-पाकिस्तान के बीच दोस्ती?
- विश्लेषण
- |
- |
- 1 Sep, 2025

प्रधानमंत्री मोदी ने एससीओ में शी जिनपिंग से मुलाकात की
प्रधानमंत्री मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुलाकात ने नए सवाल खड़े कर दिए हैं। क्या मोदी सरकार ने 'ऑपरेशन सिंदूर' पर अपने पुराने तेवर नरम कर लिए हैं? क्या SCO 2025 सम्मेलन में दिखाई गर्मजोशी भारत-पाक रिश्तों में बदलाव का संकेत है?
ऑपरेशन सिंदूर
पहलगाम में हुए आतंकी हमले के जवाब में 7 मई को भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ ऑपरेशन सिंदूर शुरू किया था। यह ऑपरेशन चार दिन तक चला। इस दौरान चीन और तुर्की ने खुलकर पाकिस्तान का साथ दिया। भारतीय सेना के डिप्टी चीफ़ ऑफ़ आर्मी स्टाफ़ लेफ्टिनेंट जनरल राहुल आर. सिंह ने खुलासा किया था कि ‘चीन ने न केवल पाकिस्तान को रियल-टाइम इंटेलिजेंस और हथियार मुहैया कराए, बल्कि अपने हथियारों को "लाइव लैब" की तरह परखा भी। तुर्की ने भी पाकिस्तान को 350 ड्रोन और ऑपरेटर उपलब्ध कराकर भारत के खिलाफ समन्वित हमलों में मदद की।’