रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का भारत दौरा समाप्त हो चुका है। 4-5 दिसंबर को आयोजित 23वें भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पुतिन के बीच गहन चर्चाएं हुईं। यह दौरा चार साल बाद पुतिन का पहला भारत भ्रमण था, जो यूक्रेन संकट के बीच दोनों देशों की “विशेष और विशेषाधिकार प्राप्त रणनीतिक साझेदारी” को मजबूत करने का प्रतीक है। एयरपोर्ट पर मोदी का व्यक्तिगत स्वागत, राष्ट्रपति भवन में गार्ड ऑफ ऑनर, निजी डिनर और शिखर वार्ताओं में आतंकवाद, रक्षा, ऊर्जा और व्यापार पर फोकस रहा। पुतिन ने कहा, “साथ चलें, साथ बढ़ें” – यह भारत-रूस संबंधों का सही मंत्र है। लेकिन आइए, गहराई से देखें: बीते तीन वर्षों (2022-2025) में दोनों देशों के आयात-निर्यात का डेटा क्या कहता है? रूस ने हमें क्या बेचा, हमने उन्हें क्या दिया? और भविष्य में क्या संभावनाएं हैं, खासकर कच्चे तेल के आयात को लेकर?

बीते तीन वर्षों का व्यापार विश्लेषण: ऊर्जा पर निर्भरता और असंतुलन

2022 में रूस के यूक्रेन पर आक्रमण के बाद वैश्विक ऊर्जा बाजार हिल गया। पश्चिमी प्रतिबंधों से रूसी तेल सस्ता हो गया, और भारत ने इसे अवसर में बदल लिया। परिणामस्वरूप, द्विपक्षीय व्यापार (बिलियन USD में) नाटकीय रूप से बढ़ा – 2022 में $49B से 2024 में $68.7B, और 2025 (अप्रैल-सितंबर) में $31.2B तक। लेकिन यह असंतुलित रहा: भारत का व्यापार घाटा बढ़ा, क्योंकि आयात 94% हिस्सा रखते हैं।
नीचे एक सरल बार चार्ट है जो 2022-2025 के प्रमुख आंकड़ों को दर्शाता है (स्रोत: UN COMTRADE, IBEF, OEC डेटा)। यह दिखाता है कि निर्यात कैसे स्थिर रहे, जबकि आयात ऊर्जा पर सवार होकर आसमान छू गया।
वृद्धि का इंजन: व्यापार 2021 के $12B से 5 गुना बढ़ा, मुख्यतः सस्ते रूसी तेल से। 2025 में H1 में आयात 10% गिरा ($32.7B), लेकिन कुल मिलाकर मजबूत।

असंतुलन: भारत का घाटा $45B+ तक पहुंचा। निर्यात स्थिर ($3-5B), लेकिन आयात ऊर्जा-केंद्रित ($60B+ प्रति वर्ष)।

नॉन-ऑयल व्यापार: बढ़ा – 2021 में $6.8B से 2023 में $11B। मशीनरी, उर्वरक, हीरे जैसे क्षेत्रों में वृद्धि।
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रूस ने हमें क्या बेचा? 

  • रूस भारत का सबसे बड़ा तेल आपूर्तिकर्ता बन गया। 2022 से 2025 तक, आयात का 70-80% ऊर्जा से जुड़ा। प्रमुख आइटम:

  • कच्चा तेल: $25.5B (2022) → $48.6B (2023) → $52.7B (2024) → 2025 में $24B (H1, 73.5% हिस्सा)। कुल आयात का 37% रूस से – सस्ते Urals ग्रेड ने $17B+ बचत की। 10 12 13 18

  • कोयला और रिफाइंड पेट्रोलियम: $2.15B (कोयला, 2025 H1) + $2.62B (रिफाइंड, +38% YoY)। स्टील और बिजली के लिए जरूरी।

  • उर्वरक: $1.39B (2023), कृषि को सपोर्ट।

  • हीरे: $1.09B (2023), ज्वेलरी उद्योग के लिए।

  • अन्य: मशीनरी ($700M, अप्रैल-अगस्त 2024), रक्षा उपकरण (S-400 जैसे)।

यह आयात भारत की ऊर्जा सुरक्षा को मजबूत कर रहा है, लेकिन प्रतिबंधों से जोखिम बढ़ा।

हमने रूस को क्या बेचा?

  • भारतीय निर्यात विविध लेकिन सीमित ($4-5B/वर्ष)। रूस की अर्थव्यवस्था पर पश्चिमी प्रतिबंधों से मांग बढ़ी, लेकिन अभी भी तेल के मुकाबले छोटा।

  • फार्मास्यूटिकल्स: $1B+ (पैकेज्ड मेडिसिन), स्वास्थ्य क्षेत्र में मजबूत।

  • मशीनरी और इलेक्ट्रॉनिक्स: $650M (2023-24, +100% YoY), स्पेयर पार्ट्स और उपभोक्ता सामान।

  • कृषि उत्पाद: चावल, मांस ($63M), वस्त्र ($20M)।

  • अन्य: टेलीफोन ($32.5M, जनवरी 2022), वाहन पार्ट्स ($12.5M), श्रिंप ($75M)। 2025 जून में निर्यात $316M गिरा (33% YoY), लेकिन BRICS जैसे प्लेटफॉर्म से सुधार की उम्मीद। 3 5 8 9

भविष्य की संभावनाएं: $100B लक्ष्य और विविधीकरण

शिखर सम्मेलन में दोनों ने 2030 तक $100B व्यापार का लक्ष्य दोहराया (2025 के $50B से आगे)। 

संभावनाएं:

ऊर्जा: नाभिकीय, गैस और नवीकरणीय पर फोकस। रूसी निवेश ($20B भारत में) बढ़ेगा।

रक्षा: S-400 डिलीवरी, ब्रह्मोस मिसाइल सहयोग। अपग्रेड और नई खरीद तेज।

व्यापार विविधीकरण: नॉन-ऑयल को $30B+ करने का प्लान – IT, कृषि, स्पेस (HSE यूनिवर्सिटी के साथ लैब)।

निवेश: भारत का रूस में $16B, रूस का भारत में $20B। BRICS से भुगतान आसान (रुपया-रूबल)।

चुनौतियां: US ट्रंप टैरिफ (25% रूसी तेल पर), प्रतिबंध। लेकिन मोदी-पुतिन ने “शांति और संतुलन” पर जोर दिया।

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क्या भारत कच्चा तेल रूस से आयात करता रहेगा?

हां, लेकिन मात्रा में बदलाव संभव। 2022 से रूस भारत का नंबर 1 तेल स्रोत (40% seaborne) रहा, 1.9M bpd (2025 के पहले 9 महीने)। अक्टूबर 2025 में 1.48M bpd बढ़ा, लेकिन नवंबर से सैंक्शंस (US सप्लायर्स पर) से गिरावट – दिसंबर में 600K-1.2M bpd तक, 3-वर्षीय न्यूनतम। 2026 में US दबाव और वैकल्पिक स्रोत (मध्य पूर्व) से 20-30% कमी संभव, लेकिन “अविरल” आपूर्ति का वादा (पुतिन)। डिस्काउंट ($4-13/बैरल) से $12.6B+ बचत हुई, जो जारी रहेगी। भारत की 88% आयात निर्भरता में रूस रणनीतिक रहेगा, लेकिन विविधीकरण जरूरी।
यह दौरा न सिर्फ पुराने बंधन को मजबूत करता है, बल्कि नई ऊर्जा-व्यापार साझेदारी का आधार रखता है। भारत-रूस: साथ चलें, साथ बढ़ें! आप क्या सोचते हैं – क्या $100B लक्ष्य हासिल होगा?