2 अक्टूबर 2025 को आरएसएस की स्थापना के 100 साल पूरे हो रहे हैं. आरएसएस हिन्दुत्ववादी राजनीति करता रहा है और उसका लक्ष्य है हिन्दू राष्ट्र की स्थापना. जो शपथ उसके स्वयंसेवक लेते हैं, उसमें वे वायदा करते हैं कि वे हिंदू राष्ट्र के प्रति वफादार रहेंगे. आरएसएस ने तेजी से अपनी मूलभूत इकाई, शाखा की संख्या बढ़ाई है. इन शाखाओं में पहले युवा और लड़के और अब हर उम्र के लोग कबड्डी और खो-खो जैसे भारतीय खेल खेलते हैं. उन्हें विचारधारात्मक प्रशिक्षण भी दिया जाता है, जिसे शाखा बौद्धिक कहा जाता है. यह प्रशिक्षण कार्यक्रम काफी विस्तृत और अलग-अलग अवधि का होता है. आरएसएस केवल पुरूषों का संगठन है और महिलाओं के लिए इसका एक सहायक संगठन है जिसका नाम राष्ट्र सेविका समिति है. यहां यह ध्यान देने योग्य है कि महिला संगठन के नाम से स्वयं शब्द गायब है.
आरएसएस के 100 सालः सोच वही, भाषा बदली
- विश्लेषण
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- 6 Sep, 2025

RSS Hindutva after 100 Years: आरएसएस की स्थापना के 100 वर्ष पूरे होने पर प्रसिद्ध चिंतक राम पुनियानी ने इस संगठन की हिंदुत्व विचारधारा, उसकी शाखाओं और सामाजिक प्रभाव का विश्लेषण किया है। इसमें मोहन भागवत के हालिया व्याख्यानों पर भी चर्चा की गई है।