कुछ दिन पहले चित्रकूट में आयोजित एक कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक मोहन भागवत ने अजब घोषणा की। उन्होंने कहा कि ‘संतों और सनातन’ की राह में आने वाली बाधाओं को संघ के स्वयंसेवक अपने डंडे से दूर करेंगे। आरएसएस के सौ साल के इतिहास में गणवेश में शामिल लाठी के इस्तेमाल का ऐसा स्पष्ट ख़ाका शायद ही किसी सरसंघचालक ने खींचा हो। आरएसएस की शाखाओं में लाठी चलाने (दंड संचलन ) की ट्रेनिंग देने के पीछे हमेशा ‘आत्मरक्षा’ को मक़सद बताया जाता रहा है।
‘संत और सनातन’ को चोट पहुँचा रहा है आरएसएस का डंडा!
- विश्लेषण
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- 29 Mar, 2025

आरएसएस का डंडा प्रदर्शन चर्चा में है। संघ प्रमुख मोहन भागवत के बयान ने इस डंडे का महत्व और भी बढ़ा दिया है। लेकिन संतों और सनातनियों को डंडे से क्यों सरोकार होना चाहिए, क्योंकि आरएसएस खुद को संत और सनातन से जोड़ता है। वरिष्ठ पत्रकार पंकज श्रीवास्तव ने आरएसएस के डंडे पर नजर डाली है और उसके सनातन कनेक्शन को बताया है। पढ़िएः





















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