बिहार में चुनावी मुकाबला ‘तेजस्वी के वादों’ और ‘नीतीश के विकास मॉडल’ के बीच है। लेकिन सवाल यही है- कई दशकों की राजनीति के बाद भी बिहार पिछड़ा क्यों है? देखिए, आशुतोष की बात में प्रभु चावला क्या कहते हैं।
पत्रकारिता में एक लंबी पारी और राजनीति में 20-20 खेलने के बाद आशुतोष पिछले दिनों पत्रकारिता में लौट आए हैं। समाचार पत्रों में लिखी उनकी टिप्पणियाँ 'मुखौटे का राजधर्म' नामक संग्रह से प्रकाशित हो चुका है। उनकी अन्य प्रकाशित पुस्तकों में अन्ना आंदोलन पर भी लिखी एक किताब भी है।

















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