देश की सर्वोच्च अदालत -सुप्रीम कोर्ट- इन दिनों एक नये कानूनी-सामाजिक पेंच में उलझी है. दरअसल कोर्ट इस मुद्दे पर गौर कर रही है कि निर्भया काण्ड के बाद बने पोक्सो कानून में 16 और 18 वर्ष के बीच की आयु की किशोरावस्था में होने वाले हार्मोनल और बायोलाजिकल चेंजज को ध्यान में नहीं रखा गया लिहाज़ा इस उम्र में शारीरिक संबधों को भले हीं वे सहमति से हों, आरोपी का एकतरफा आपराधिक कृत्य मान लिया गया. कोर्ट में जब कुछ वकीलों ने इस मुद्दे को उठाया तो कोर्ट ने केंद्र सरकार को इस पर गौर करने और समिति बना कर दो माह में रिपोर्ट देने को कहा है.