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फाइल फोटो

आंध्र प्रदेश में वाईएसआरसीपी को अब कड़ा मुकाबला देती नजर आ रही है टीडीपी 

आंध्र प्रदेश में लोकसभा चुनाव के साथ ही विधानसभा चुनाव भी हो रहे हैं। यहां 13 मई को मतदान होना है। आंध्र प्रदेश में पिछले विधानसभा और लोकसभा चुनाव में वाईएसआरसीपी ने बड़ी जीत दर्ज की थी। करीब 6 माह पहले तक राज्य में सत्तारूढ़ यह पार्टी काफी मजबूत दिख रही थी। 
राज्य की दूसरी सबसे बड़ी पार्टी टीडीपी जो विपक्ष में है 6 माह पहले तक काफी कमजोर दिख रही थी लेकिन अब इसने खुद को काफी मजबूत कर लिया है। आंध्र प्रदेश में मौजूदा स्थिति यह है कि टीडीपी वाईएसआरसीपी को चुनाव में कड़ी टक्कर देती दिख रही है। 

अंग्रेजी अखबार द इंडियन एक्सप्रेस ने आंध्र प्रदेश की वर्तमान राजनैतिक स्थिति पर एक लंबी रिपोर्ट प्रकाशित की है। इसमें बताया गया है कि कि जैसे-जैसे मतदान की तारीख नजदीक आ रही है आंध्र प्रदेश में वाईएसआरसीपी और टीडीपी के बीच लोकप्रियता का अंतर कम होता जा रहा है। 

वाईएसआरसीपी ने जहां अपनी विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं से राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में अपने आधार को बरकरार रखा है वहीं शहरी क्षेत्र में नौकरियों और पूंजी निवेश जैसे सवाल टीडीपी को मदद कर रहे हैं। टीडीपी शहरी इलाकों में मजबूत हुई है। इसके साथ ही टीडीपी ने बीजेपी और अभिनेता पवन कल्याण की पार्टी जनसेना के साथ गठबंधन कर के अपनी स्थिति को मजबूत कर लिया है। 

रिपोर्ट कहती है कि पांच साल पहले भारी जीत के साथ वाईएसआरसीपी अध्यक्ष वाईएस जगन मोहन रेड्डी सत्ता में आएं थे और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री बने थे। तब उनके मन में संदेह था कि क्या वह लोकप्रियता में अपने पिता की नकल कर पाएंगे या नहीं? 

अपने विरोधियों को चुप कराने के बाद, उन्हें अब उस लड़ाई का सामना करना पड़ रहा है जिसे वे अपनी लड़ाई कहते हैं। वह इन दिनों हर सार्वजनिक बैठकों में कहते हैं कि आंध्र के लोग कृष्ण की भूमिका निभाएंगे, जबकि मैं अर्जुन की भूमिका निभाऊंगा। मैं एनडीए के गरीब-विरोधी पूंजीवादी साझेदारों के खिलाफ अकेले चुनाव लड़ रहा हूं। टीडीपी के नेतृत्व वाले गठबंधन के खिलाफ अपनी लड़ाई को वह अमीर और गरीबों के बीच एक 'वर्ग युद्ध' बताते हैं। 

रिपोर्ट कहती है कि राज्य की सभी लोकसभा और विधानसभा सीटों पर 13 मई को एक साथ मतदान होगा। 2019 में, वाईएसआरसीपी ने 49.95 प्रतिशत वोट शेयर के साथ 175 विधानसभा सीटों में से 151 सीटें जीती थीं। वहीं टीडीपी 23 सीटों और 39.17 प्रतिशत वोटों पर सिमट गई थी। 
बसपा और वाम दलों के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ने वाली जनसेना पार्टी (जेएसपी) ने एक सीट जीती थी और उसे 5.53 प्रतिशत वोट मिले थे। कांग्रेस को मात्र 1.17 प्रतिशत वोट मिले थे और 0 सीटें मिली थी। वाईएसआरसीपी ने लोकसभा चुनावों में भी 25 में से 22 सीटें (49.89 प्रतिशत) जीतकर जीत हासिल की थी, जबकि टीडीपी ने तीन (40.19 प्रतिशत) सीटें जीती थीं। 
द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट कहती है कि ठीक छह महीने पहले, जगन ने 2019 के नतीजों के विश्वास के साथ अपना चुनाव अभियान शुरू किया था, तब टीडीपी कमजोर दिख रही थी। उस समय उन्होंने नारा दिया था कि “175 क्यों नहीं?” उन्होंने अपने नेताओं और कार्यकर्ताओं से राज्य की सभी विधानसभा सीटें जीतने की कोशिश करने का आह्वान किया था।
दूसरी तरफ टीडीपी, बीजेपी और जेएसपी के साथ गठबंधन बनाने में कामयाब हुई। इसके बाद जगन ने अपना ध्यान सत्ता विरोधी लहर से लड़ने पर केंद्रित कर दिया। उन्होंने पार्टी के उन उम्मीदवारों को हटा दिया गया, जिन्हें कमज़ोर माना जा रहा था। इस चुनाव में वाईएसआरसीपी के एक चौथाई मौजूदा विधायकों को या तो हटा दिया गया है या उनके निर्वाचन क्षेत्र बदल दिए गए हैं। सांसदों में से भी 22 में से केवल 6 को दोहराया गया है।

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क़मर वहीद नक़वी
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