असम में चार साल पहले बीजेपी सत्ता में आई। तभी से लगातार बीजेपी सरकार और संघ परिवार की तरफ से सोशल मीडिया पर अपने विचार व्यक्त करने वालों के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज करवाने और विरोध की आवाज़ को खामोश करने का सिलसिला चल रहा है।
असम: सोशल मीडिया पर विरोधी आवाज़ को सहन नहीं करती बीजेपी सरकार
- असम
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- 12 Aug, 2020

अनिंद्य सेन पर हमला करने वाली कई टिप्पणियां असंवेदनशील, उत्तेजक और धमकी देने वाली हैं। ये धमकियां जो किसी खास विचारधारा के ख़िलाफ़ जाने वाली किसी भी आवाज़ को चुप कराने की कोशिश करती हैं, ऐसा होना हाल के दिनों में एक आम बात बन गई है। ‘धार्मिक भावनाओं का आहत होना’ एक सामान्य बहाना बन गया है जिसका उपयोग दमन के हथियार के रूप में किया जा रहा है और जिसके तहत संगठित हिंसा पनप रही है।
पिछले साल जब राज्य में नागरिकता संशोधन कानून के ख़िलाफ़ प्रबल जन आंदोलन शुरू हुआ तो इस आंदोलन के समर्थन में पोस्ट लिखने वालों को खास तौर पर निशाना बनाया गया और कई लोगों को गिरफ्तार भी किया गया। इसमें गौर करने की बात यह भी है कि जिस आईटी एक्ट को सुप्रीम कोर्ट द्वारा निरस्त किया जा चुका है, उसके तहत भी मामले दर्ज होते रहे।