असम में चार साल पहले बीजेपी सत्ता में आई। तभी से लगातार बीजेपी सरकार और संघ परिवार की तरफ से सोशल मीडिया पर अपने विचार व्यक्त करने वालों के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज करवाने और विरोध की आवाज़ को खामोश करने का सिलसिला चल रहा है।