जिस असम में एनआरसी यानी राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर लागू हुआ है वहाँ एक अजीब-सी स्थिति दिख रही है। बीजेपी की सदस्यता के लिए मुसलिमों की तादाद में एकाएक ज़बरदस्त बढ़ोतरी हुई है। पिछले तीन महीने में क़रीब चार लाख मुसलिमों ने बीजेपी की प्राथमिक सदस्यता के लिए 'मिस्ड कॉल' किया है। उससे पहले और 2015 के बाद 2 लाख लोगों ने 'मिस्ड कॉल' किया था। मुसलिमों की यह संख्या (कुल मिलाकर छह लाख) राज्य में बीजेपी को आए ऐसे कुल 47 लाख 'मिस्ड कॉल' की 13 फ़ीसदी है।
एनआरसी का ख़ौफ़: असम में मुसलिम क्यों चाहते हैं बीजेपी की सदस्यता?
- असम
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- 17 Oct, 2019
जिस असम में एनआरसी यानी राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर लागू हुआ है वहाँ बीजेपी की सदस्यता के लिए मुसलिमों की तादाद में एकाएक ज़बरदस्त बढ़ोतरी क्यों हुई है?

यह आँकड़ा अजीब स्थिति को इसलिए दिखाता है कि एनआरसी को लागू कराने को तत्पर सबसे ज़्यादा बीजेपी है और माना जा रहा है कि एनआरसी से सबसे ज़्यादा प्रभावित मुसलिम ही हुए हैं। बीजेपी के नेता अक्सर ऐसी बयानबाज़ी करते रहे हैं जिसका संदेश मुसलिमों में यह जाता है कि उन्हें निशाना बनाया जा रहा है। सितंबर 2018 में राजस्थान में बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने कहा था कि घुसपैठियों को चुन-चुन कर निकाल बाहर किया जाएगा। उन्होंने कहा था, 'बीजेपी का संकल्प है कि एक भी बांग्लादेशी घुसपैठिया को भारत में रहने नहीं देंगे, चुन-चुन कर निकाल देंगे।' इसके बाद भी वह इस बात को बार-बार दोहराते रहे हैं।