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असम में एक मदरसे को बुलडोजर से गिराया जा रहा है।

असम में छोटे मदरसों का विलय क्यों हो रहा है

पूर्वोत्तर का प्रवेशद्वार कहे जाने वाले असम में तेजी से पनपने वाले मदरसों की तादाद और उनमें कथित तौर पर कट्टरपंथी तत्वों की बढ़ती सक्रियता पर अंकुश लगाने की सरकार की मुहिम लगातार तेज हो रही है। कट्टरपंथियों को शरण देने के आरोप में अब तक कई मदरसों पर बुलडोजर चलाया जा चुका है। इन फैसलों पर विवाद भी बढ़ रहा है। लेकिन सरकार की दलील है कि कट्टरपंथ पर अंकुश लगाने के लिए ऐसा करना जरूरी है। इसी कवायद के तहत असम सरकार ने हाल में निजी मदरसों का सर्वेक्षण कराया है। इस कवायद के तहत अब तक राज्य के सौ से ज्यादा छोटे मदरसों का बड़े मदरसों में विलय कर दिया गया है। इससे पहले सरकार ने वर्ष 2020 के आखिर में सरकारी सहायता से चलने वाले करीब आठ सौ मदरसों को बंद कर उनको सामान्य स्कूलों में बदलने का फैसला किया था। असम के बाहर से आ कर इन मदरसों में पढ़ाने वालों को अब समय-समय पर नजदीकी थाने में हाजिरी भी देनी होगी।

सरकार ने राज्यों में चल रहे छोटे मदरसों का बड़ो मदरसों में विलय का काम शुरु कर दिया है। राज्य के पुलिस महानिदेशक भास्कर ज्योति महंत बताते हैं, "कथित रूप से कट्टरपंथ फैलाने में इस्तेमाल होने वाले छोटे मदरसों का बड़े मदरसों में विलय करने का फैसला किया गया है। इससे खतरा कम किया जा सकेगा।" महंत ने कहा कि तीन किलोमीटर की परिधि में केवल एक ही मदरसा होगा और 50 या उससे कम छात्रों वाले मदरसों का विलय नजदीक के बड़े मदरसों में कर दिया जाएगा। राज्य के ऐसे सभी मदरसों का डेटाबेस तैयार करने के लिए एक सर्वेक्षण भी किया गया है। उनका कहना था कि असम में मुस्लिमों की अच्छी-खासी आबादी है और यह राज्य कट्टरपंथियों का स्वाभाविक लक्ष्य रहा है। ऐसी गतिविधियां आमतौर पर छोटे मदरसों में की जाती हैं।

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असम पुलिस बीते साल आतंकवादी संगठन अंसारुल बांग्ला टीम (एबीटी) और भारतीय उपमहाद्वीप में अलकायदा (एक्यूआईएस) के नौ मॉड्यूल का भंडाफोड़ कर अब तक 53 संदिग्ध आतंकवादियों को गिरफ्तार कर चुकी है। महंत के मुताबिक, बांग्लादेश में इन संगठनों पर प्रतिबंध लगाए जाने के बाद इनके कार्यकर्ता अब असम के युवाओं को अपने जाल में फंसाने का प्रयास कर रहे हैं। महंत बताते हैं-

लगातार बढ़ती ऐसी गतिविधियों को रोकने के लिए मुस्लिम नेताओं ने सरकारी अधिकारियों से संपर्क किया था। समुदाय के 68 नेताओं के साथ हुई बैठक में मदरसों में शैक्षिक सुधार लाने पर सहमति बनी थी। राज्य में इस्लामी अध्ययन की चार धाराएं चलती हैं। इन तमाम धाराओं के सदस्यों को लेकर एक बोर्ड का गठन किया जाएगा। मदरसों का डेटाबेस तैयार करने के लिए सर्वेक्षण का काम लगभग पूरा हो गया है। इसमें जमीन का ब्योरा, शिक्षकों की संख्या, छात्रों और पाठ्यक्रम शामिल है।


-भास्कर ज्योति महंत, डीजीपी, असम

इससे पहले मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने कहा था कि राज्य के मदरसों में पढ़ाने के लिए असम के बाहर से आए सभी शिक्षकों को समय-समय पर अपने नजदीकी पुलिस थाने में हाजिरी देनी होगी। उनका कहना था, “इस्लामी धर्मगुरुओं की कथित जिहादी गतिविधियों के बाद मदरसा शिक्षा में सुधार की कवायद के तहत यह फैसला किया गया है।”

असम के मदरसों को लेकर काफी वक्त से विवाद चल रहा है। हाल ही में कुछ संदिग्ध लोगों की गिरफ्तारी हुई थी। उन पर जिहादी गतिविधियों में शामिल होने का आरोप लगा था। इसके अलावा कुछ मदरसों में बांग्लादेश के इमाम भी नौकरी करते पाए गए थे। उनके खिलाफ प्रशासन की ओर से कड़ी कार्रवाई की गई थी। उसके बाद पुलिस महानिदेशक भास्कर ज्योति महंत ने कई मुस्लिम नेताओं के साथ बैठक की थी। उसी बैठक में राज्य के तमाम मदरसों के सर्वेक्षण पर सहमति बनी थी।

असम सरकार ने वर्ष 2020 के आखिर में जब सरकारी सहायता से चलने वाले मदरसों और सांस्कृतिक स्कूलों को बंद करने का फैसला किया था तो खासकर मदरसों के मुद्दे पर इस फैसला का काफी विरोध हुआ था। कई संगठनों ने इस फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती भी दी थी। लेकिन हाईकोर्ट ने सरकारी आदेश बहाल रखा। उसी आधार पर बीते साल पहली अप्रैल से ऐसे तमाम मदरसे बंद कर दिए गए। अब उनको सामान्य स्कूलों में बदलने की प्रक्रिया चल रही है।
लेकिन कई संगठन सरकार के फैसले का विरोध कर रहे हैं। जमीयत उलेमा-ए-हिंद के नेता मौलाना फजल-उल-करीम कहते हैं- 

यह सच नहीं है कि मदरसों में सिर्फ धार्मिक शिक्षा ही दी जाती है. वहां इस्लामिक शिक्षाओं के साथ एक विदेशी भाषा के रूप में अरबी पढ़ाई जाती है। इससे कई छात्रों को डॉक्टर और इंजीनियर बनने में सहायता मिलती है। वह लोग मध्य पूर्व के देशों में रोजगार हासिल करते हैं।


-मौलाना फजल-उल-करीम, जमीयत उलेमा-ए-हिंद

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कुछ अन्य संगठनों ने भी राज्य की बीजेपी सरकार पर अल्पसंख्यकों के खिलाफ पूर्वाग्रह ग्रस्त होकर कार्रवाई करने का आरोप लगाया है। लेकिन सरकार के एक प्रवक्ता ने कहा है कि मदरसा शिक्षा में सुधार की कवायद जारी रहेगी। सरकार राज्य से कट्टरपंथ को उखाड़ फेंकने के लिए कृतसंकल्प है।

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प्रभाकर मणि तिवारी
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