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फ़ोटो साभार: ट्विटर/असम कांग्रेस

असम-मिज़ोरम विवाद: असम कांग्रेस के नेताओं को पुलिस ने रोका

असम-मिज़ोरम सीमा पर झड़प के बाद भूपेन बोरा देवव्रत सैकिया और अन्य सहित कांग्रेस नेताओं के प्रतिनिधिमंडल को पुलिस ने कछार के ढोलई में रोक दिया है। वे हिंसा प्रभावित क्षेत्रों का दौरा करने वाले थे। 

कांग्रेस ने एक दिन पहले ही कछार ज़िले का दौरा करने के लिए सात सदस्यीय समिति का गठन किया था जो मिज़ोरम के साथ लगने वाली राज्य की सीमा पर सोमवार को हिंसा भड़कने के बाद की स्थिति का आकलन करने वाली थी। कांग्रेस प्रतिनिधिमंडल के उस क्षेत्र में आज जाने को लेकर ख़ुद कांग्रेस ने जानकारी दी है। 

इसी को लेकर कांग्रेस का प्रतिनिधिमंडल उस क्षेत्र का दौरा करने जा रही थी। एएनआई की रिपोर्ट के अनुसार, कांग्रेस नेता सुष्मिता देव ने कहा, 'हमने कहा था कि हम लैलापुर मार्केट तक ही जाएँगे, बॉर्डर पर नहीं जाएंगे। लेकिन हमें 5 किलोमीटर पहले ही रोक दिया गया।' इस मामले में कछार की एसपी रमनदीप कौर का कहना है कि 'केवल क्षेत्र के निवासियों को ही जाने की अनुमति है। यह एक संघर्ष क्षेत्र है और सभी के लिए एक समान चीजें है। कल हमारे अपने सीएम संघर्ष क्षेत्र में नहीं गए।'

बता दें कि असम-मिज़ोरम सीमा पर सोमवार को हुई हिंसा में असम पुलिस के 6 अफ़सरों की मौत हो गई। असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने ट्वीट कर इसकी जानकारी दी थी। भीड़ ने इन दो राज्यों की सीमा पर खड़ी सरकारी गाड़ियों को भी निशाना बनाया था। घटना के बाद अमित शाह ने दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों से फ़ोन पर बात की थी।

इस मामले में कांग्रेस के प्रतिनिधिमंडल गठन को लेकर असम कांग्रेस के इंचार्ज जितेंद्र सिंह ने ट्वीट कर जानकारी दी थी। 

बता दें कि असम-मिज़ोरम सीमा पर झड़प के मामले में दोनों राज्यों के शीर्ष अधिकारियों को आज दिल्ली में तलब किया गया है। गृह मंत्रालय ने दोनों राज्यों के मुख्य सचिवों और पुलिस महानिदेशकों को दिल्ली तलब किया है। लेकिन केंद्र सरकार के इस प्रयास के बीच ही असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने कहा है कि उनकी सरकार मिज़ोरम के साथ लगने वाली राज्य की 165 किलोमीटर की सीमा पर 4,000 कमांडो तैनात करेगी। 

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असम के मुख्यमंत्री ने यह भी कहा है कि राज्य सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएगी कि विवादित क्षेत्र में आरक्षित वन संरक्षित रहे और वहाँ कोई निर्माण नहीं हो। असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा के बाद मिज़ोरम के मुख्यमंत्री ज़ोरामथांगा ने भी उनपर कई तरह के आरोप लगाए। 

ऐसा शायद इससे पहले कभी भारत में दो पड़ोसी राज्यों के मुख्यमंत्रियों के बीच नहीं हुआ कि ऐसी स्थिति आन पड़ी हो।

मिज़ोरम के मुख्यमंत्री ज़ोरामथांगा ने दो दिन पहले ट्वीट कर कहा था, 'प्रिय हिमंतजी, माननीय अमित शाह जी द्वारा मुख्यमंत्रियों की सौहार्दपूर्ण बैठक के बाद आश्चर्यजनक रूप से असम पुलिस की 2 कंपनियों ने नागरिकों के साथ मिज़ोरम के अंदर वैरेंगटे ऑटो रिक्शा स्टैंड पर लाठीचार्ज किया और आँसू गैस के गोले दागे। उन्होंने सीआरपीएफ़ कर्मियों/मिज़ोरम पुलिस पर भी बल प्रयोग किया।'

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मिज़ोरम के गृह मंत्री लालचमलियाना ने सोमवार को असम पुलिस पर मिज़ोरम पुलिस द्वारा तैनात एक चौकी को जबरन पार करने और उसे उखाड़ फेंकने का आरोप लगाया। उन्होंने इसे मिजोरम के क्षेत्र में घुसपैठ और आक्रामकता क़रार दिया।

हालाँकि एक अच्छी ख़बर यह है कि मिज़ोरम के गृह मंत्री लालचमलियाना ने दोनों पक्षों को हुए अनावश्यक नुक़सान पर खेद जताते हुए असम से विवाद के शांतिपूर्ण समाधान के लिए अनुकूल वातावरण बनाने का आग्रह किया है।

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क़मर वहीद नक़वी
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