loader

पुलिसकर्मी पर हमले का मामला: मेवाणी को मिली जमानत

गुजरात के विधायक जिग्नेश मेवाणी को शुक्रवार को असम की एक अदालत ने जमानत दे दी है। मेवाणी की गिरफ्तारी एक महिला पुलिस कांस्टेबल की ओर से लगाए गए हमले और छेड़छाड़ के आरोपों पर की गई थी। असम की बरपेटा पुलिस ने सोमवार को उन्हें गिरफ्तार किया था। एक ही हफ्ते में मेवाणी की यह दूसरी गिरफ़्तारी थी। 

यह महिला पुलिस कांस्टेबल मेवाणी को गुवाहाटी एयरपोर्ट से कोकराझार लाने वाली पुलिस टीम का हिस्सा थी। कॉन्स्टेबल ने आरोप लगाया था कि जब वे लोग असम के बरपेटा जिले से गुजर रहे थे तो मेवाणी ने उसे अपशब्द कहे। मेवाणी पर यह भी आरोप है कि उन्होंने महिला कॉन्स्टेबल को असभ्य इशारे किए और उन्हें धक्का भी दिया। 

असम पुलिस ने पहली बार में मेवाणी को बीते गुरुवार की देर रात को गुजरात के पालनपुर से गिरफ्तार किया था। इसके बाद उन्हें असम लाया गया था।

ताज़ा ख़बरें

बदले की राजनीति: मेवाणी 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी की नीतियों के आलोचक जिग्नेश मेवानी ने कहा था कि उनकी गिरफ्तारी बीजेपी और आरएसएस की साजिश है और उनकी छवि को खराब करने के लिए ऐसा सोच-समझ कर किया जा रहा है। मेवाणी ने कहा था कि पहले उन्होंने रोहित वेमुला के साथ ऐसा किया, फिर चंद्रशेखर आजाद के साथ और अब वह उन्हें निशाना बना रहे हैं।

मेवाणी ने अपनी गिरफ्तारी को प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा बदले की राजनीति करार दिया था।

पहली बार में क्यों हुई गिरफ़्तारी ?

असम के कोकराझार जिले के भवानीपुर के रहने वाले अनूप कुमार डे की शिकायत पर मेवाणी के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया था। मेवाणी के खिलाफ अपराधिक साजिश रचने सहित कई अन्य धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया था।

शिकायतकर्ता ने अपनी शिकायत में कहा था कि मेवाणी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बारे में लिखा था कि वह नाथूराम गोडसे की पूजा करते हैं और उन्हें ईश्वर मानते हैं।

असम से और खबरें

शिकायतकर्ता ने कहा था कि मेवाणी के ट्वीट के कारण समाज में शांति भंग हो सकती है और दलित नेता एक समुदाय के लोगों को दूसरे समुदाय के लोगों के खिलाफ अपराध करने के लिए उकसा रहे हैं। मेवाणी के इन ट्वीट को ट्विटर ने रोक दिया था।

सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
क़मर वहीद नक़वी
सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें

अपनी राय बतायें

असम से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें