असम के विख्यात आंदोलनकारी और विधायक अखिल गोगोई को एनआईए की विशेष अदालत द्वारा यूएपीए (ग़ैर क़ानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम) के एक मामले से मुक्त किया जाना बताता है कि उन्हें बदनीयत से फँसाया गया था। अदालत ने साफ़ कहा है कि ऐसे कोई भी सबूत नहीं हैं जिनसे प्रथम दृष्टया भी कहा जाए कि वे किसी भी तरह से आतंकवादी गतिविधियों में शामिल थे।
अखिल गोगोई के ख़िलाफ़ यूएपीए का एक मामला ध्वस्त, दूसरे का इंतज़ार
- असम
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- 23 Jun, 2021

चाबुआ वाले मामले में आरोपमुक्त होने के बावजूद अभी वे जेल में ही रहेंगे, क्योंकि यूएपीए का एक और मामला बाक़ी है। वह मामला भी टिकेगा नहीं, मगर तय है कि एनआईए कोई कोर कसर बाक़ी नहीं रखेगी। वह जानती है कि गोगोई अगर मुक्त हुए तो सरकार की मुसीबतें फिर शुरू हो जाएँगी। गोगोई डरने वाले शख़्स नहीं हैं, वे फिर आंदोलन छेड़ देंगे।
एनआईए अदालत के इस फ़ैसले को दिल्ली हाईकोर्ट के उस फ़ैसले के परिप्रेक्ष्य में देखा जा सकता है जिसमें उसने नताशा नरवाल, देवांगना कलिता और आसिफ़ तन्हा को यूएपीए के मामले में ज़मानत दी थी। इस फ़ैसले में उसने यूएपीए के दुरुपयोग की बात भी कही थी।