एक पुराने समाजवादी ने सोशल मीडिया के एक पोस्ट में समाजवादियों को ‘कायर मरघिल्ला याचक‘ बताया है। इसी से आहत होकर यह आलेख लिखना पड़ा है। नीतीश कुमार समेत कई समाजवादी जिस बहादुरी से संघ परिवार के खेमे में बैठ कर लोहिया, जेपी और कर्पूरी जी का नाम जप रहे हैं, वह क्या मामूली है? ऐसे कई बहादुर हैं। कोई नरेंद्र मोदी जी की कृपा से किसी अन्य पार्टी में रह कर तो कोई सीधे भाजपा में प्रवेश कर संसद, विधानमंडल या किसी और जगह देश सेवा का मौका हासिल कर रहा है। बिहार के एक खांटी समाजवादी हुकमदेव नारायण जी भाजपा के टिकट पर सांसद बने थे। लोकसभा में डॉ. लोहिया पर उन्हें बोलते सुना तो जी जुड़ा गया। उन्होंने सिद्ध किया कि मोदी जी, भाजपा और आरएसएस ही लोहिया के असली वारिस हैं और वे ही उनके सपनों को पूरा करेंगे। ये तो एक उदाहरण है। नानाजी देशमुख में गांधी जी और अटलबिहारी वाजपेयी में नेहरू ढूंढने वाले कई समाजवादी भी मिल जाएंगे। नीतीश जी को ही देख लीजिए। मोदी जी की पार्टी को लोकसभा चुनावों में बहुमत नहीं मिला तो किस बहादुरी से उनके समर्थन में खड़े हो गए। उनकी ऐसी हौसला अफजाई भाजपा के किसी नेता ने भी नहीं की। नीतीश जी ने ठीक चुनाव के पहले इंडिया गठबंधन से बाहर निकलने का जो ऐतिहासिक काम किया है उसने समाजवादियों का माथा ऊंचा कर दिया है।
सवाल सांप्रदायिकता और तानाशाही के विरोध में खडे़ होने का है
- बहसतलब
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- 18 Oct, 2024

एक पुराने समाजवादी ने लिखा कि कांग्रेसी लोहिया, जेपी और नरेंद्र देव को कभी याद नहीं करते हैं, तो इसके विरोध में अनिल सिन्हा ने भी तर्क रखे हैं। जानिए, कांग्रेसियों और समाजवादियों के संबंध कैसे रहे।
मुझे इस शिकायत में भी कोई दम नजर नहीं आता कि कांग्रेस और भाजपा समाजवादियों को याद नहीं करते। यह सच नहीं है। कांग्रेस ने थोड़ी कंजूसी ज़रूर दिखाई है। लेकिन भाजपा पर यह आरोप लगाना तो सरासर नाइंसाफी है। जब भी किसी समाजवादी से राजनीतिक लाभ की गुंजाइश दिखी, उन्होंने फौरन याद किया। अटलबिहारी की पहली सरकार ने लोकनायक जयप्रकाश नारायण को भारत रत्न दिया और मोदी जी ने इसी साल तो जननायक कर्पूरी ठाकुर को इस सर्वोच्च नागरिक सम्मान से नवाजा है। डाक टिकट भी जारी किया। अटल जी को समाजवादियों के सहारे की सख्त जरूरत थी। जाति जनगणना का मुद्दा जोर पकड़ा तो कर्पूरी जी को याद करना जरूरी हो गया और मोदी सरकार ने उन्हें झट से भारत रत्न दे डाला। डाक टिकट भी निकाल दिए। जहां तक जेपी को याद करने का सवाल है तो शायद आप लोगों ने मोदी जी की ओर से जारी वीडियो को नहीं देखा है और योगी जी, मोहन यादव के बयान नहीं सुने हैं। अभी तो वे उन्हें चाह कर भी नहीं भूल सकते। कांग्रेस से लड़ने के लिए उनका नाम लेना कितना जरूरी है, यह राजनीति का कोई स्कूली विद्यार्थी भी समझता है।