बिहार विधानसभा चुनाव 2025 पर आए दो सर्वे में दिलचस्प नतीजे दिखे हैं। जानिए किस एनडीए या महागठबंधन के पास सरकार बनाने के बेहतर आसार हैं और मतदाता रुझान क्या कहते हैं।
नीतीश, प्रशांत किशोर, तेजस्वी
'वोट वाइब' और 'एसएएस ग्रुप' के ताजा सर्वे में विपक्षी महागठबंधन को सत्तारूढ़ एनडीए पर मामूली बढ़त दिखाई दे रही है। क्या तेजस्वी यादव की 'हर घर नौकरी' गारंटी ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की '10 हजारी योजना' को पछाड़ दिया है? क्या इस बार बिहार की सियासत में कोई बड़ा उलटफेर होगा और तेजस्वी यादव सरकार बनाने में सफल होंगे? इन्हीं सवालों को लेकर ये सर्वे किए गए हैं।
ये सर्वे बिहार के 243 विधानसभा क्षेत्रों में हजारों वोटरों के बीच किए गए हैं। ये आँकड़े संकेत देते हैं कि बेरोजगारी और युवा असंतोष मुख्य मुद्दे बन सकते हैं, जो महागठबंधन के पक्ष में जा सकते हैं। दोनों सर्वे में एनडीए और महागठबंधन के बीच कांटे की टक्कर दिख रही है, जहां महागठबंधन को हल्की बढ़त है। बहुमत के लिए 122 सीटें चाहिए और प्रशांत किशोर की पार्टी जन सुराज पार्टी को वोट काटने वाला फैक्टर माना जा रहा है।
एसएएस ग्रुप का सर्वे हैदराबाद स्थित पूर्व आईआईटीयंस ग्रुप द्वारा किया गया है। इसने 5 अक्टूबर से 26 अक्टूबर तक क़रीब 48 हज़ार सैंपल का सर्वे किया। इस ग्रुप ने पिछले बिहार चुनाव में जो सर्वे किया था वो सटीक बैठा था। तब इसने सर्वे में कहा था कि एनडीए को 120-127 सीटें मिलेंगी और एनडीए को 125 सीटें मिली थीं।
किस गठबंधन की बनेगी सरकार?
बिहार विधानसभा चुनाव से पहले एसएएस ग्रुप के सर्वे में सामने आया है कि 39 फीसदी लोग मानते हैं कि एनडीए की सरकार बनेगी जबकि 41 फीसदी मानते हैं कि महागठबंधन की सरकार बनेगी। 8.5 फीसदी लोग जन सुराज की सरकार बनने के आसार बताते हैं जबकि 5.5 फीसदी लोग कहते हैं कि त्रिशंकु विधानसभा होगी। 6 फीसदी लोगों ने कहा कि कुछ कह नहीं सकते।
अगला मुख्यमंत्री कौन बनेगा?
दोनों सर्वे में पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव अगले सीएम के रूप में सबसे पसंदीदा चेहरा उभरे हैं। नीतीश कुमार की लोकप्रियता में गिरावट दिख रही है, जबकि प्रशांत किशोर तीसरे नंबर पर हैं। एसएएस ग्रुप के सर्वे में जब पूछा गया कि अगला मुख्यमंत्री कौन होगा तो 38 फीसदी ने तेजस्वी यादव, 20 फीसदी ने नीतीश कुमार, 14 फीसदी ने प्रशांत किशोर, 9 फीसदी ने चिराग पासवान और 5 फीसदी ने सम्राट चौधरी का नाम लिया।
नीतीश कुमार के बार-बार गठबंधन बदलने से उनकी विश्वसनीयता को नुकसान पहुँचा है, जबकि तेजस्वी की छवि 'बदलाव लाने वाली' की बन रही है।
महिला वोटरों का रुझान
महिलाओं के वोट बिहार चुनाव के गेम-चेंजर माने जाते हैं। एसएएस ग्रुप के सर्वे में कहा गया है कि 39.5 फीसदी महिलाओं के एनडीए, 39 फीसदी के महागठबंधन, 9 फीसदी के जन सुराज को वोट देने के आसार हैं।
जन सुराज पार्टी: किसका वोट काटेगी?
प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी को 'किंगमेकर' माना जा रहा है, जो 8-12% वोट शेयर हासिल कर सकती है। एसएएस के सर्वे के आधार पर कहा गया है कि 33 फीसदी लोगों का मानना है कि जन सुराज पार्टी एनडीए का वोट काटेगी, 10 फीसदी कहते हैं कि महागठबंधन का वोट काटेगी, 15 फीसदी लोगों का मानना है कि एनडीए व महागठबंधन दोनों का वोट काटेगी। 23 फीसदी लोगों को लगता है कि यह किसी का वोट नहीं काटेगी और 19 फीसदी लोग कुछ विचार नहीं रखते हैं।
बिहार चुनाव पर एसएएस सर्वे
18-29 साल के वोटर किसे वोट देगा?
इस चुनाव में 18-29 साल के वोटर किस पार्टी को वोट देगा? एसएएस के सर्वे के आधार पर कहा गया है कि 26 फीसदी मानते हैं कि एनडीए को, 49 फीसदी को लगता है कि महागठबंधन को और 14 फीसदी कहते हैं कि जन सुराज को युवाओं के वोट मिलेंगे। 8 फीसदी लोगों का कहना है कि कुछ कह नहीं सकते हैं। यह पार्टी मुख्य रूप से जेडीयू और आरजेडी के पारंपरिक वोट बैंक में सेंध लगाएगी।
बिहार चुनाव पर एसएएस सर्वे
वोट वाइब का सर्वे
वोट वाइब ने भी इस पर सर्वे किया है कि किस गठबंधन की सरकार बनेगी। सर्वे के अनुसार 34.7 फीसदी मानते हैं कि महागठबंधन की सरकार बनेगी, जबकि 34.4 फीसदी मानते हैं कि एनडीए की सरकार बनेगी। 12.3 फीसदी लोग मानते हैं कि जन सुराज की सरकार बनेगी, जबकि 8.4 फीसदी कहते हैं कि त्रिशंकु विधानसभा होगी। 10.1 फीसदी का कहना है कि कुछ कह नहीं सकते हैं।
बिहार चुनाव पर वोट वाइब सर्वे
तेजस्वी की हर घर नौकरी योजना कैसी?
वोट वाइब सर्वे में कहा गया है कि 38.1 फीसदी लोगों को लगता है कि यह अच्छा फैसला है या इससे चुनाव में फायदा होगा। 48 फीसदी मानते हैं कि यह चुनावी नारा है। 6.3 फीसदी लोगों ने तो कहा कि ऐसी योजना सुनी ही नहीं है। 7.6 फीसदी लोगों ने कहा कि कुछ कह नहीं सकते हैं।
बिहार चुनाव पर वोट वाइब सर्वे
तेजस्वी की हर घर नौकरी योजना को लेकर एसएएस ग्रुप का सर्वे भी है। इसमें 39.5 फीसदी लोगों ने कहा है कि यह अच्छा फैसला है और महागठबंधन को फायदा होगा। 41.5 फीसदी लोगों को लगता है कि यह एक चुनावी नारा है और यह संभव नहीं है। 19 फीसदी लोगों ने कहा है कि कुछ कह नहीं सकते।
बिहार चुनाव पर एसएएस सर्वे
चुनाव पर्यवेक्षकों का कहना है कि अंतिम उम्मीदवारों की सूची और प्रचार के आखिरी दौर में फर्क पड़ सकता है। जन सुराज अगर एनडीए का वोट काटती है, तो महागठबंधन को फायदा हो सकता है। यह चुनाव न केवल बिहार, बल्कि राष्ट्रीय राजनीति को प्रभावित करेगा, खासकर 2029 लोकसभा के मद्देनजर। क्या तेजस्वी का 'लालटेन' फिर जलेगा या नीतीश का 'जंगल राज' का डर कामयाब होगा? नतीजे आने तक सस्पेंस बरकरार है।