Bihar Elections 2025: एनडीए बिहार चुनाव नीतीश कुमार नहीं, बल्कि मोदी के नाम पर लड़ रहा है। आयोजनों से लेकर विज्ञापनों तक में प्रमुखता से सिर्फ मोदी हैं। बिहार के लिए यह नया है। सवाल है कि एनडीए का यह प्रयोग कितना कामयाब होगा।
बिहार में एक लंबे समय से यह कहा जाता रहा है कि बिहार के कथित डबल इंजन की सरकार को एक ही इंजन यानी भारतीय जनता पार्टी चला रही है और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को पीछे धकेल दिया गया है। इस आरोप में यह भी जोड़ा जाता है कि दरअसल मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को उनकी अपनी पार्टी के वैसे नेता जो भारतीय जनता पार्टी की विचारधारा के नजदीक हैं, अपने हिसाब से चला रहे हैं।
फिलहाल ऐसा लग रहा है कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का काम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को आउटसोर्स कर दिया गया है। बहुत से लोगों को ऐसा लगता है कि इस समय बिहार को सीधे प्रधानमंत्री मोदी ही चला रहे हैं।
जो बात पहले इशारों में कही जा रही थी और पर्दे के पीछे थी, वह पिछले दिनों 26 सितंबर को तब खुलकर सामने आई जब मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना के लिए 75 लाख महिलाओं को ₹10000 की ‘सहयोग राशि’ बैंक में ट्रांसफर करने की महफ़िल को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लूट ले गए और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कहीं पीछे छूट गए।
आज यानी 5 अक्टूबर को एक बार फिर बिहार सरकार की विभिन्न घोषणाओं के लिए सजाई गई महफिल को भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लूटने वाले हैं। दिलचस्प बात यह है कि आज बिहार और केंद्र की योजनाओं से जुड़े दो विज्ञापन छपे हैं जिसमें एक में पहली तस्वीर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की और दूसरी तस्वीर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की है जबकि दूसरे विज्ञापन में यह क्रम उलट गया है।
आज छपे पहले विज्ञापन में मुख्य अतिथि के तौर पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का नाम है लेकिन सबसे ऊपर मोटे अक्षरों में लिखा है, “श्री नरेंद्र मोदी माननीय प्रधानमंत्री के कर कमल द्वारा वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से…।” इसके बाद बिहार स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड योजना, छात्रवृत्ति वितरण, बिहार युवा आयोग और ‘भारत रत्न जननायक कर्पूरी ठाकुर कौशल विश्वविद्यालय’ के ‘शुभारंभ और उद्घाटन’ की जानकारी दी गई है। इसमें पहली तस्वीर (बाएं) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की और बाद की तस्वीर (दाएं) मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की है।
बिहार चुनाव से पहले अखबारों में विज्ञापनों की भऱमार
दूसरे विज्ञापन में भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नाम सबसे ऊपर है हालांकि इसका फोंट साइज कम है। इसमें पहली तस्वीर (बाएं) मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की और बाद की तस्वीर (दाएं) नरेंद्र मोदी की है। इसमें लिखा गया है, “प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के कर कमल द्वारा आईटीआई के टॉपर विद्यार्थियों का कौशल दीक्षांत समारोह में सम्मान।” यही कार्यक्रम अगर आईआईटी के टॉपरों को सम्मानित करने का होता तो लोगों को शायद कुछ उचित भी लगता लेकिन आईटीआई इंडस्ट्रियल ट्रेंनिंग इंस्टीट्यूट) के टॉपरों को प्रधानमंत्री द्वारा सम्मानित करने की बात लोगों को हैरत में डाल रही है।
यह कार्यक्रम नई दिल्ली के विज्ञान भवन के प्लेनेटरी हाल में 11:00 बजे शुरू होगा। इसमें बिहार के लिए दूसरी योजनाओं और पहलों को भी शामिल किया गया है जो पहले विज्ञापन में भी शामिल है।
पहले विज्ञापन में जहां मुख्य अतिथि के नाम पर नीतीश कुमार हैं तो दूसरे विज्ञापन में उनका नाम ‘गरिमायी उपस्थिति’ में रखा गया है। इसकी अलग से खबर नहीं है लेकिन इस विज्ञापन को देखकर ऐसा लगता है कि नीतीश कुमार दिल्ली में इस कार्यक्रम में शामिल होंगे। कार्यक्रम का सीधा प्रसारण दूरदर्शन पर किया जाएगा।
आज के अखबारों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अकेले-अकेले या एक साथ तस्वीरों वाले फुल पेज, हाफ पेज और फ्लायर मिलाकर कुल 7 विज्ञापन छपे हैं। चुनाव से ठीक पहले तो पहले भी सरकारी योजनाओं को लेकर विज्ञापन छपते रहे हैं लेकिन राजनीतिक पर्यवेक्षकों का मानना है कि ऐसा पहली बार हो रहा है कि जब राज्य के कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को प्रमुखता मिल रही है और नीतीश कुमार की बात कहीं पीछे छूट जाती है।
राजनीतिक पर्यवेक्षक यह मानते हैं कि इस तरह बिहार के कार्यक्रमों को आउटसोर्स करने की एक वजह तो शायद नीतीश कुमार की गिरती सेहत और छवि है जिसे भांपते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद को आगे लाने का फैसला किया है। कुछ दूसरे विश्लेषकों का यह कहना है कि नीतीश कुमार को इस तरह पीछे करने का मकसद शायद वह जमीन तैयार करनी है कि अगर एनडीए की सरकार बनती है तो मुख्यमंत्री के पद से उन्हें हटाकर बीजेपी के किसी नेता को मुख्यमंत्री बनाया जाए।
इस परिस्थिति में नीतीश कुमार के हमदर्द माने जाने वाले जदयू के नेता तो परेशान बताए जाते हैं लेकिन जदयू के वैसे नेता जिनका झुकाव और लगाव भारतीय जनता पार्टी के साथ ज्यादा है और जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह की नजर में प्रिय बने रहना चाहते हैं, वह यह संदेश देना चाह रहे हैं कि अब बिहार का चुनाव नीतीश कुमार के हाथ से निकल गया है और केवल नरेंद्र मोदी ही पालनहार हो सकते हैं।
इस संदर्भ में यह बात दोहराने जरूरी है कि हाल ही में खुद को नीतीश कुमार का ‘मानस पुत्र’ बताने वाले लेकिन वैचारिक रूप से भारतीय जनता पार्टी के निकट समझे जाने वाले मंत्री अशोक चौधरी का नाम 200 करोड़ रुपए की बेनामी संपत्ति की वजह से सामने आया था जिसे आरोप जन सुराज के सूत्रधार प्रशांत किशोर ने लगाया था। इसी तरह एक वरिष्ठ पत्रकार ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट पर लिखा था कि ‘झा जी’ ने 5000 करोड़ की संपत्ति बनाई है। हालांकि उन्होंने उनका पूरा नाम नहीं बताया लेकिन उनके पोस्ट के नीचे आए कमेंट में जिस नेता का नाम सामने आया उन्हें भी भारतीय जनता पार्टी की विचारधारा के निकट समझा जाता है। ऐसे नेताओं के बारे में समझा जाता है कि नीतीश कुमार की कार्रवाई से बचने के लिए वह भारतीय जनता पार्टी के कवच का सहारा ले रहे हैं।
पिछले दोनों यह खबर भी आई थी कि भारतीय जनता पार्टी ने कई जगहों पर मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना के सरकारी कार्यक्रम को भी अपनी पार्टी का कार्यक्रम बनाने की कोशिश की है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के कार्यक्रम को इस तरह भाजपा द्वारा हाईजैक करने पर जदयू की तरफ से शीर्ष नेतृत्व का कोई विरोध सामने नहीं आया है क्योंकि उन्हें भाजपा के नजदीक माना जाता है लेकिन जदयू के दूसरे नेता दबे छुपे यह बात कहते सुने जा रहे हैं। यह भी बताया गया है कि पत्रकार के पोस्ट में जिस ‘झा जी’ की चर्चा है उनके बारे में जदयू के एक धड़े ने जानकारी जुटाई है लेकिन यह नहीं मालूम हो सका कि क्या वह जानकारी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार तक पहुंची है।