Bihar Elections Smrat Chaudhary: बिहार चुनाव में नामांकन के दौरान हलफनामा देने से सूचनाएं निकलकर बाहर आती हैं। डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी ने हलफनामा दिया और 10वीं कब पास की, यह नहीं बताया। जनसुराज के प्रशांत किशोर ने इस मामले को फिर उठा दिया है।
बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के लिए नामांकन प्रक्रिया जारी है। भाजपा के वरिष्ठ नेता और डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी ने गुरुवार को अपना नामांकन पत्र जमा किया। उनके हलफनामे में उम्र और शैक्षिक योग्यता को लेकर दर्ज विवरण ने राजनीतिक हलकों में विवाद खड़ा कर दिया है। हलफनामे में दो आपराधिक मामलों का उल्लेख होने से भी सवाल उठने लगे हैं।
सम्राट चौधरी, जो बिहार भाजपा के प्रमुख चेहरों में शुमार हैं, ने अपनी व्यक्तिगत जानकारी हलफनामे के जरिए सार्वजनिक की है। हलफनामे के अनुसार, चौधरी के खिलाफ दो आपराधिक मामले लंबित हैं, हालांकि इन मामलों की प्रकृति या विस्तार से कोई जानकारी नहीं दी गई है। चुनाव आयोग के नियमों के तहत, उम्मीदवारों को अपने आपराधिक रिकॉर्ड का खुलासा करना अनिवार्य होता है, लेकिन यह खुलासा चौधरी की उम्मीदवारी पर सवाल खड़े कर रहा है। सम्राट चौधरी खुद को साफ सुथरी छवि वाला बताते रहे हैं। बिहार बीजेपी ने दावा किया था कि उनके किसी भी नेता पर आपराधिक आरोप नहीं हैं।
कितना पढ़े हुए हैं सम्राट चौधरी
सबसे अधिक चर्चा का विषय चौधरी की उम्र और शैक्षिक योग्यता को लेकर है। हलफनामे में इन विवरणों को लेकर अस्पष्टता देखी गई है।चौधरी ने अपनी उम्र 60 वर्ष से अधिक बताई है, लेकिन कुछ पुराने दस्तावेजों में यही उम्र अलग बताई जा चुकी है। इसी तरह, शैक्षिक योग्यता के कॉलम में ग्रेजुएशन स्तर की डिग्री का उल्लेख है, लेकिन प्रमाण-पत्रों की प्रामाणिकता पर सवाल उठ रहे हैं। विपक्षी दल, खासकर आरजेडी और कांग्रेस, ने इसे 'चुनावी धांधली' का प्रयास करार देते हुए जांच की मांग की है।
जन सुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर ने सम्राट चौधरी की शैक्षणिक योग्यता पर सवाल उठाए हैं। किशोर ने गुरुवार को कहा, "आज सम्राट चौधरी का अपडेटेड हलफनामा जनता के लिए जारी कर दिया गया है। इससे पहले, जब सम्राट चौधरी से पूछा गया था कि उन्होंने दसवीं कक्षा कब पास की है, तो उन्होंने कहा था कि यह हलफनामे में पढ़ा जा सकता है।"
प्रशांत किशोर ने कहा, "आज, मैं इसे पढ़ने की कोशिश कर रहा था, लेकिन इसमें कहीं भी यह नहीं लिखा है कि उन्होंने 10वीं कक्षा कब पास की। उन्होंने यह भी दावा किया है कि उन्होंने कामराज विश्वविद्यालय से पीएफसी (प्री-फाउंडेशन कोर्स) पूरा किया है... पीएफसी उन लोगों के लिए है जो तमिल बोलते हैं... उन्होंने अभी तक यह स्पष्ट नहीं किया है कि उन्होंने 10वीं कक्षा पास की है या नहीं...। क्या सम्राट चौधरी तमिल बोल सकते हैं।"
चुनाव आयोग ने सभी उम्मीदवारों के हलफनामों की जांच के लिए विशेष टीम गठित की है, और यदि कोई विसंगति पाई गई तो नामांकन रद्द करने का प्रावधान है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह विवाद चौधरी की छवि को प्रभावित कर सकता है, खासकर तब जब बिहार की जनता शिक्षा और पारदर्शिता के मुद्दों पर संवेदनशील हो।
भाजपा ने इन आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कहा है कि हलफनामा पूरी तरह सत्य और पारदर्शी है। पार्टी प्रवक्ता ने बताया, "यह विपक्ष की हताशा का नतीजा है। सम्राट का राजनीतिक सफर बिहार की सेवा का प्रतीक है।" इस बीच, चौधरी ने खुद कोई टिप्पणी नहीं की है। लेकिन यह सवाल अभी भी बना हुआ है कि आखिर सम्राट चौधरी ने 10वीं कब पास की और क्या उन्हें तमिल आती है, क्योंकि उन्होंने ग्रैजुएट के बराबर पीएफसी करने का दावा हलफनामे में किया है।
चुनावी माहौल में यह विवाद बिहार की सियासत को और गरमा रहा है। उम्मीदवारों के हलफनामों पर नजर रखी जा रही है, क्योंकि पिछले चुनावों में इसी तरह के खुलासे कई उम्मीदवारों के लिए मुसीबत साबित हुए थे।