बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान धूल उड़ने शुरू हो गए हैं। उम्मीदवारों के नाम तय होने लगे हैं। राघोपुर में तेजस्वी पहले से तय हैं। वैशाली जिले का यह नदी द्वीप क्षेत्र तेजस्वी यादव के लिए फिर से 'यादव गढ़' साबित होने को बेताब है। पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यहां से मैदान में हैं तो जन सुराज के प्रशांत किशोर ने 'जनता की मांग पर' चुनाव लड़ने का ऐलान कर हलचल मचा दी है। सड़कों पर पैदल चलते हुए, घाटों पर बैठकर और चौक पर चाय की चुस्कियां लेते हुए जो नब्ज टटोली, तो साफ दिखा- पीके की रैली का शोर तो फैला, लेकिन जनता का दिल अभी भी तेजस्वी के साथ धड़क रहा है। यादव वोट बैंक (लगभग 32%) की एकजुटता, मुस्लिम-यादव समीकरण और स्थानीय मुद्दों पर तेजस्वी के वादों ने हवा को मज़बूत कर दिया है।
राघोपुर: गंगा किनारे तेजस्वी की लहर, जनता का अटूट विश्वास?
- बिहार
- |
- |
- 13 Oct, 2025

तेजस्वी ने राहुल के सामने खुद को बताया महागठबंधन का मुख्यमंत्री उम्मीदवार
बिहार की राजनीति में राघोपुर सीट पर क्या स्थिति है? प्रशांत किशोर ने क्यों कहा है कि यदि तेजस्वी राघोपुर से चुनाव लड़ते हैं तो उनका भी हाल वही होगा जैसा अमेठी में राहुल गांधी का हुआ था? कौन संभालेगा राघोपुर की कमान?
हम पहुंचे महावीर चौक। गौरी शंकर मंदिर में लगातार घंटियां बज रही हैं। पास के बाजार में दुकानदारों की चहल-पहल थमती नहीं। खरीददारों की भीड़ बनी रहती है। ट्रैफिक भी जबरदस्त। दोपहर की धूप में चौक पर चाय की टपरी पर पहुंचा तो यादव बहुल इलाके के रामेश्वर पासवान ने चाय की कप थामते हुए कहा, "पीके साहब की रैली देखी, तालियां भी बजाईं, लेकिन वोट? वो तो तेजस्वी बाबू को जाएगा। लालू जी-राबड़ी मैय्या का बेटा है, गढ़ तोड़ना आसान नहीं। बाढ़ की मार तो सबको है, लेकिन तेजस्वी जी ने 10 लाख नौकरियां देने का वादा किया—वो पूरा करेंगे।" पास ही खड़ी एक वैश्य व्यापारी (11% वोट शेयर वाली जाति से) बोलीं, "एनडीए की योजनाएं अच्छी हैं, लेकिन स्थानीय विकास में तेजस्वी आगे हैं। पुल टूटा, सड़कें गड्ढों वाली— इन पर तेजस्वी फोकस करेंगे तो मार्जिन 40 हजार पार।" अगर 40 हजार या उससे ज्यादा का मार्जिन रहता है तो तेजस्वी अपना ही रिकॉर्ड तोड़ेंगे। 2020 के बाद से राघोपुर विधानसभा सीट से लालू-राबड़ी-तेजस्वी ही जीतते रहे हैं।