बिहार विधानसभा चुनाव के लिए वैसे तो विपक्ष के पास कई मुद्दे हैं लेकिन इस समय सबसे बड़ा मुद्दा वोटर लिस्ट का विशेष गहन पुनरीक्षण (एसाईआर) बना हुआ है जिसे कांग्रेस नेता राहुल गांधी ‘वोट चोरी’ का नाम दे रहे हैं। इस ‘वोट चोरी के खिलाफ सीधी लड़ाई’ की शुरुआत 17 अगस्त से हो रही है जिसमें राजद के तेजस्वी यादव समेत महागठबंधन के सभी दलों के बड़े नेता शामिल हो रहे हैं। इस यात्रा को वोटर अधिकार यात्रा का नाम दिया गया है।
दरअसल बिहार में एसआईआर के नाम पर चुनाव आयोग की ‘वोटर हटाओ’ प्रक्रिया को महागठबंधन ने शुरू से आम आदमी विशेष कर दलितों, पिछड़ों और अल्पसंख्यकों के खिलाफ बताया था और इस मुद्दे पर 9 जुलाई को चक्का जाम किया था जिसे काफी सफल माना गया था। इसके बाद इस मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में होने लगी और राजनीतिक तौर पर आम लोगों के बीच इसके विरोध की आंच थोड़ी धीमी पड़ गई थी। अब राहुल गांधी की वोटर अधिकार यात्रा से विरोध की आंच तेज होने की उम्मीद लगाई जा रही है जिसमें एसआईआर के बाद प्रकाशित ड्राफ्ट वोटर लिस्ट की गड़बड़ियों को व्यापक पैमाने पर उजागर करने की तैयारी है। 
अपनी मतदाता अधिकार यात्रा शुरू करने से तीन दिन पहले राहुल गांधी ने इसे ‘निर्णायक संग्राम’ बताया। सोशल मीडिया ‘एक्स’ पर गुरुवार को उन्होंने लिखा है, “हम बिहार की धरती से वोट चोरी के ख़िलाफ़ सीधी लड़ाई छेड़ रहे हैं।” राहुल गांधी ने अपने पोस्ट के माध्यम से यह संदेश दिया कि यह केवल एक चुनावी मुद्दा नहीं बल्कि यह लोकतंत्र, संविधान और ‘वन मैन, वन वोट’ के सिद्धांत की रक्षा का निर्णायक संग्राम है। उन्होंने यह भी कहा, “हम पूरे देश में स्वच्छ मतदाता सूची बनवाकर ही रहेंगे। अब की बार, वोट चोरों की हार - जनता की जीत, संविधान की जीत होगी।”
13 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने जिस तरह चुनाव आयोग को यह आदेश दिया कि वह उन 65 लाख लोगों का नाम वेबसाइट पर डालें जिन्हें ड्राफ्ट वोटर लिस्ट से हटा दिया गया है, उससे इस यात्रा में शामिल हो रहे दलों में अचानक उत्साह बढ़ता हुआ दिखाई दे रहा है। वह इस फैसले के जरिए वह यह बताने की कोशिश करेंगे कि चुनाव आयोग ने किस तरह मनमाने ढंग से लोगों के नाम काट दिए और अपने उस आरोप को भी दोहराएंगे जिसमें वह भारतीय जनता पार्टी और चुनाव आयोग की मिलीभगत की शिकायत करते रहे हैं।
कांग्रेस और महागठबंधन ने इस यात्रा की शुरुआत के लिए सासाराम (रोहतास) को चुना है जो कि पूर्व लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार का क्षेत्र रहा है और 2024 के लोकसभा चुनाव में सासाराम सहित शाहाबाद के इलाके में उसे अच्छी कामयाबी मिली थी। सोलह दिनों तक चलने वाली इस वोटर अधिकार यात्रा में राहुल गांधी दो दर्जन जिलों से गुजरेंगे। इस यात्रा का समापन 1300 किमी की दूरी तय करते हुए पटना के गांधी मैदान में एक सितंबर को होगा। ध्यान रहे कि इस दौरान बिहार में एसआईआर के तहत तैयार ड्राफ्ट वोटर लिस्ट के बारे में दावा और आपत्ति ली जाएगी जिसकी आखिरी तारीख भी एक सितंबर ही है।
रोहतास जिले के बाद यह यात्रा औरंगाबाद, गया, नवादा, नालंदा, शेखपुरा, लखीसराय, मुंगेर, भागलपुर, कटिहार, पूर्णिया, अररिया, सुपौल, मधुबनी, दरभंगा, मुजफ्फरपुर, सीतामढ़ी, पूर्वी चंपारण, पश्चिमी चंपारण, गोपालगंज, सीवान, सारण, भोजपुर होते हुए अंतिम दिन एक सितंबर को पटना के गांधी मैदान में मतदाता अधिकार रैली के साथ पूरी होगी।
इस तरह राहुल गांधी बिहार के कुल 38 जिलों में से अधिकतर जिलों की यात्रा करेंगे जो चुनावी दृष्टिकोण से हर महत्वपूर्ण क्षेत्र को कवर करेगी। यानी इसमें शाहाबाद, मगध, कोसी, सीमांचल, मिथिलांचल, तिरहुत और चंपारण के महत्वपूर्ण क्षेत्र शामिल हैं।
उम्मीद की जा रही है कि इस यात्रा के दौरान तेजस्वी यादव भी आम लोगों तक अपनी यह बात पहुंचाने की कोशिश करेंगे कि उनका मकसद चुनाव में धांधली रोकना है। वह यह आरोप लगा चुके हैं कि एसआईआर के नाम पर लोकतंत्र को खत्म करने की साजिश चल रही है। तेजस्वी ने यह आरोप भी लगाया है कि चुनाव आयोग जैसी संवैधानिक संस्थाओं के बल पर धांधली, हेराफेरी और वोट की चोरी कर भाजपा सरकार बना रही है।
तेजस्वी के अनुसार, “2020 में मात्र 12,756 वोट के अंतर से धांधली कर हमें 15 सीटों पर जबरन हराया गया। अभी 65 लाख मतदाताओं का नाम काटने की बात सामने आई है, लेकिन दस्तावेज नहीं देने के कारण संख्या में और वृद्धि होनी तय है।” 
महागठबंधन के नेता इस यात्रा के दौरान यह संदेश देना चाहेंगे कि जिनके पास दस्तावेज नहीं हैं, वैसे लोग पहले वोटर रहते हुए भी फाइनल लिस्ट से बाहर कर दिए जाएंगे। महागठबंधन के नेताओं की यह कोशिश रहेगी कि वह लोगों को यह संदेश दें कि 2025 के बिहार विधानसभा चुनाव को आम चुनाव की तरह नहीं लें क्योंकि उनकी नजर में यह संविधान बचाने की लड़ाई है।
इस वोटर अधिकार यात्रा में भाकपा माले का शामिल होना भी बहुत महत्वपूर्ण माना जा रहा है। इस काडर आधारित पार्टी की जमीनी पकड़ भी अच्छी मानी जाती है और इसने एसआईआर के खिलाफ काफी आक्रामक अभियान चला रखा है। माले ने ‘वोट चोर, गद्दी छोड़’ के नारे के साथ 9 से 11 अगस्त को पूरे देश में मार्च आयोजित किए। पार्टी के महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य एसआईआर की प्रक्रिया को शुरू से दबे कुचले लोगों के खिलाफ बताते रहे हैं।
चुनाव आयोग में जिन 65 लाख लोगों का नाम वोटर लिस्ट से हटाया उसके बारे में दीपंकर का कहना है कि इस लिस्ट से बाहर किए गए ज़्यादातर लोग वही हैं जो पहले से समाज के हाशिए पर हैं - दलित, मुस्लिम, महिलाएं, प्रवासी मज़दूर, और गरीब लोग। कई लोग अभी जीवित हैं लेकिन उन्हें मृत घोषित कर दिया गया।
इस वोटर अधिकार यात्रा के दौरान इन मुद्दों के साथ-साथ यह मुद्दा भी उठेगा कि बिहार के 36 लाख मजदूर, जो बाहर रोजी-रोटी कमाने गए थे, उन्हें बाहरी कहकर लिस्ट से बाहर कर दिया गया। माले का कहना है कि सात लाख लोगों को डुप्लीकेट कहकर हटाया गया, लेकिन सत्ता के खास नेताओं पर ये नियम नहीं लागू हुआ क्योंकि बिहार के उपमुख्यमंत्री और भाजपा नेता विजय सिन्हा का नाम तो बना रहा।
माले का आरोप है कि वाल्मीकिनगर लोकसभा क्षेत्र में एसआईआर के बावजूद यूपी के 5 हज़ार नाम अब भी लिस्ट में हैं - इससे साफ है कि यह प्रक्रिया पक्षपात और झूठ पर टिकी है।
ध्यान रहे कि एसआईआर का मुद्दा शुरू होने से पहले राहुल गांधी बिहार में अपराध के मुद्दे पर लगातार सवाल उठाते रहे हैं और उन्होंने कुछ ही दिन पहले बिहार को क्राइम कैपिटल भी कहा था। कई लोगों का मानना है कि इस वोटर अधिकार यात्रा के दौरान एसआईआर के अलावा बिहार में अपराध और भ्रष्टाचार जैसे मुद्दे भी उठाए जाएंगे।