बिहार में विशेष गहन मतदाता सूची पुनरीक्षण अभियान ने राजनीतिक बहस को जन्म दिया है। विपक्ष क्यों फिर से ‘महाराष्ट्र मैच फिक्सिंग’ जैसे खेल दोहराए जाने की आशंका जता रहा है? जानिए इसके पीछे की पूरी कहानी।
राहुल गांधी का महाराष्ट्र के बारे में यह आरोप है कि वहां चुनाव आयोग ने भाजपा के इशारे पर लाखों लोगों का नाम वोटर लिस्ट से काटने और जोड़ने का खेल किया है। तो क्या विपक्ष बिहार में वोटर लिस्ट को लेकर ताज़ा फ़ैसले को जोड़कर देख रहा है?
बिहार में लगभग 8 करोड़ वोटर हैं और हाउस टू हाउस सर्वे के लिए 25 जून से 26 जुलाई का वक्त दिया गया है। दावे और आपत्तियों के लिए 1 अगस्त से 1 सितंबर का समय दिया गया है और अंतिम मतदाता सूची 30 सितंबर 2025 को प्रकाशित की जाएगी।