चाचा पशुपति पारस की बग़ावत के बाद एलजेपी में अकेले पड़ चुके चिराग पासवान अब मैदान में उतर आए हैं। सोमवार को पिता राम विलास पासवान की जयंती के मौक़े पर उन्होंने अपने पिता पर लिखी दो किताबों को दिल्ली में जनता के सामने रखा और उसके तुरंत बाद पहुंच गए कर्मभूमि बिहार।