Bihar Law & Order : चिराग पासवान ने बिहार में बढ़ते अपराध को लेकर नीतीश कुमार पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि राज्य में अपराधियों का मनोबल चरम पर है। जानें उनके बयान के पीछे की राजनीति।
बिहार की सियासत में एक बार फिर हलचल मच गई है। केंद्रीय मंत्री और लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के अध्यक्ष चिराग पासवान ने बिहार में बढ़ते अपराध को लेकर नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार पर तीखा हमला बोला है। पटना में गुरुवार को हुए हमले के बाद चिराग पासवान ने कहा कि अपराधियों का मनोबल आसमान पर है। उनका यह बयान न केवल नीतीश कुमार के गृह मंत्रालय की कार्यशैली पर सवाल उठाता है, बल्कि बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की रणनीति पर भी कयासों को जन्म देता है। सवाल यह उठ रहे हैं कि चिराग पासवान नीतीश कुमार पर हमलावर क्यों हैं? कहीं उनकी योजना 2020 की चुनाव रणनीति जैसी तो नहीं?
इन सवालों का जवाब ढूंढने से पहले यह जान लें कि आख़िर गुरुवार को घटना क्या घटी है और इस पर चिराग पासवान ने क्या कहा है। गुरुवार को पटना के एक प्रमुख निजी अस्पताल पारस हॉस्पिटल में पांच हथियारबंद अपराधियों ने घुसकर एक मरीज की गोली मारकर हत्या कर दी। मृतक की पहचान चंदन मिश्रा के रूप में हुई है और वह भी एक कुख्यात गैंगस्टर था। उसको बेगूसराय जेल से पैरोल पर इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती किया गया था। इस घटना के बाद राज्य की क़ानून व्यवस्था पर सवाल उठने लगे। सवाल उठाने वाले लोगों में एनडीए के सहयोगी पार्टी के नेता चिराग पासवान भी हैं।
क़ानून-व्यवस्था पर चिराग ने क्या कहा
चिराग पासवान ने कहा है, 'बिहार में क़ानून व्यवस्था आज एक गंभीर चिंता का विषय बन गई है। प्रतिदिन हत्याएँ हो रही हैं, अपराधियों का मनोबल आसमान पर है। पुलिस-प्रशासन की कार्यशैली समझ से परे है। आज पटना के रिहायशी इलाके में स्थित पारस अस्पताल के अंदर घुसकर अपराधियों द्वारा सरेआम गोलीबारी की घटना इस बात का प्रमाण है कि अपराधी अब कानून और प्रशासन को सीधी चुनौती दे रहे हैं। बिहार विधानसभा चुनाव से ठीक पहले बढ़ते अपराधिक मामले चिंताजनक है। उम्मीद है कि प्रशासन जल्द ही कानून व्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए ठोस और कड़े कदम उठाएगा।'
चिराग पासवान का नीतीश कुमार पर हमला कोई नई बात नहीं है। 2020 के विधानसभा चुनाव में चिराग ने एनडीए से अलग होकर नीतीश कुमार के ख़िलाफ़ खुला मोर्चा खोला था। उन्होंने तब दावा किया था कि नीतीश के नेतृत्व में बिहार का विकास संभव नहीं है और उनके पिता रामविलास पासवान का अपमान किया गया। इस बार भी चिराग का रुख नीतीश के ख़िलाफ़ आक्रामक है, लेकिन इस बार वह केंद्र में एनडीए सरकार का हिस्सा हैं, जिससे स्थिति और जटिल हो जाती है।
ताज़ा टिप्पणी में चिराग ने बिहार में बढ़ते अपराध और क़ानून-व्यवस्था की स्थिति को लेकर नीतीश कुमार को सीधे जिम्मेदार ठहराया है। यह बयान तब आया है जब बिहार में हाल के दिनों में कई आपराधिक घटनाएँ सुर्खियों में रही हैं।
चिराग का कहना है कि गृह विभाग नीतीश के पास होने के बावजूद अपराधियों पर नकेल नहीं कसी जा रही है। कुछ हफ़्ते पहले पटना के एक व्यवसायी गोपाल खेमकी की हत्या के बाद भी उन्होंने ऐसा ही सवाल उठाया था। यह बयान न केवल नीतीश की प्रशासनिक क्षमता पर सवाल उठाता है, बल्कि एनडीए गठबंधन में दरार की संभावना को भी उजागर करता है।
2020 के विधानसभा चुनाव में चिराग पासवान ने नीतीश कुमार की जनता दल (यूनाइटेड) के खिलाफ कई सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे, जिससे जदयू का प्रदर्शन कमजोर हुआ था। कुछ विश्लेषकों का मानना है कि चिराग इस बार भी वैसी ही रणनीति अपना सकते हैं। खासकर तब, जब उनकी पार्टी बिहार सरकार का हिस्सा नहीं है, बल्कि केवल केंद्र में एनडीए सरकार में शामिल है।
पिछले चुनाव में यह भी कयास लगाया गया था कि चिराग का यह रुख भारतीय जनता पार्टी के इशारे पर हो सकता है। अब फिर से उसी तरह से कयास लगाया जा रहा है कि कहीं बीजेपी बिहार में नीतीश की जदयू को कमजोर करने की रणनीति के तहत चिराग को आगे तो नहीं कर देगी? यह दावा कितना सटीक है, इसकी पुष्टि नहीं हो सकी, लेकिन यह बिहार की सियासत में एक नया मोड़ ला सकता है।
चिराग पासवान की रणनीति हमेशा से बिहार में अपनी पार्टी की स्थिति को मजबूत करने और युवा मतदाताओं को आकर्षित करने की रही है। उनके बयानों में नीतीश के खिलाफ आक्रामकता और बिहार के विकास के लिए वैकल्पिक दृष्टिकोण की बात बार-बार सामने आती है। हाल ही में, ताड़ी के मुद्दे पर चिराग ने तेजस्वी यादव का समर्थन करते हुए नीतीश के फैसले की आलोचना की थी।
2025 के विधानसभा चुनाव में चिराग की भूमिका अहम होगी। अगर वह 2020 की तरह एनडीए से अलग होकर चुनाव लड़ते हैं तो यह जदयू और बीजेपी दोनों के लिए चुनौती खड़ी कर सकता है। दूसरी ओर, अगर वह एनडीए के भीतर रहकर नीतीश पर दबाव बनाते हैं तो यह गठबंधन की एकता को कमजोर कर सकता है। हालाँकि चिराग ने 2020 की तरह रणनीति इस चुनाव में अपनाने जैसी बात आधिकारिक तौर पर नहीं कही है।
चिराग पासवान का नीतीश कुमार पर ताजा हमला बिहार की सियासत में एक नया तूफान खड़ा करने की क्षमता रखता है। उनके बयान न केवल कानून-व्यवस्था की स्थिति पर सवाल उठाते हैं, बल्कि एनडीए गठबंधन में हलचल को भी उजागर करते हैं। क्या चिराग 2020 की तरह फिर से कोई बड़ा दांव खेलेंगे? यह सवाल बिहार की जनता और राजनीतिक विश्लेषकों के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है। फिलहाल, यह साफ़ है कि चिराग का फोकस बिहार में अपनी पार्टी की प्रासंगिकता बढ़ाने और नीतीश के नेतृत्व को चुनौती देने पर है। आने वाले महीने इस बात का फैसला करेंगे कि क्या चिराग का यह हमला केवल रणनीतिक दबाव है या फिर 2025 के चुनाव में एक बड़े सियासी खेल की शुरुआत।