बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण यानी SIR के दौरान तीन महीने में चुनाव आयोग ने 68.5 लाख मतदाता सूची से हटाए और 21.5 लाख वोटर जोड़े। पढ़िए, चुनाव आयोग ने मतदाताओं का क्या आँकड़ा दिया है।
बिहार विधानसभा चुनाव से पहले चुनाव आयोग ने अंतिम मतदाता सूची जारी कर दी है। इस सूची में बड़े पैमाने पर बदलाव किए गए हैं। चुनाव आयोग ने एसआईआर शुरू करने के बाद से क़रीब 68.5 लाख मतदाता हटाए हैं, जबकि 21.5 लाख वोटर जोड़े हैं। यानी एसआईआर के दौरान कुल मिलाकर क़रीब 47 लाख वोटर कम हो गए। अंतिम मतदाता सूची के अनुसार अब बिहार में कुल 7.42 करोड़ मतदाता हैं, जबकि एसआईआर प्रक्रिया शुरू होने से पहले 24 जून 2025 तक 7.89 करोड़ मतदाता थे।
मतदाता सूची में क्या बदला
चुनाव आयोग के अनुसार, 24 जून 2025 तक बिहार में कुल 7.89 करोड़ मतदाता दर्ज थे। इसके बाद ड्राफ्ट मतदाता सूची तैयार की गई, जिसमें मतदाताओं की संख्या घटकर 7.24 करोड़ रह गई थी। इस दौरान 65 लाख मतदाताओं को सूची से हटाया गया। ड्राफ्ट सूची के बाद भी पुनरीक्षण प्रक्रिया जारी रही, जिसमें 3.66 लाख मतदाताओं को अयोग्य बताकर हटाया गया। इसके साथ ही 21.53 लाख योग्य मतदाताओं को फॉर्म 6 भरवाकर सूची में जोड़ा गया। इस प्रक्रिया के बाद अंतिम मतदाता सूची में अब 7.42 करोड़ मतदाता शामिल हैं। चुनाव आयोग ने यह साफ़ नहीं किया है कि इन 21.53 लाख मतदाताओं में से कितने फर्स्ट टाइम वोटर हैं और कितने ड्राफ्ट सूची से चूक गए लोग।
मतदाता सूची कैसे-कैसे बदली?
पुनरीक्षण प्रक्रिया के दौरान 21.53 लाख योग्य मतदाताओं को सूची में शामिल किया गया। माना जा रहा है कि इसमें युवा मतदाता के अलावा ऐसे मतदाताओं के नाम भी हो सकते हैं जो तकनीकी कारणों से पहले की सूची में शामिल नहीं हो पाए थे।
- 24 जून 2025 को 7.89 करोड़ मतदाता थे
- ड्राफ्ट सूची में 7.24 करोड़ मतदाता
- यानी ड्राफ्ट सूची में 65 लाख मतदाता नहीं शामिल किए
- अंतिम सूची: 7.42 करोड़ मतदाता
- यानी ड्राफ्ट सूची से 3.66 लाख अयोग्य हटाए गए
- 21.53 लाख मतदाता जोड़े गए
- कुल मिलाकर 47 लाख मतदाता कम हो गए
कई जिलों में ड्राफ्ट सूची में मतदाता बढ़े
कई जिलों में अंतिम मतदाता सूची में मतदाताओं की संख्या ड्राफ्ट सूची से काफ़ी ज़्यादा बढ़ गई। मुजफ्फरपुर जिले में 88108 वोटर बढ़े हैं, जो ड्राफ्ट वोटर लिस्ट में 32,03,370 से बढ़कर अब 32,91,478 हो गए हैं। पटना जिले में यह संख्या 1,63,600 और नवादा जिले में 30,491 बढ़ी है।
सुप्रीम कोर्ट ने दिया था नाम जोड़ने का आदेश
8 सितंबर को एक याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को वोटर लिस्ट में नाम जोड़ने के लिए आधार को पहचान के सबूत के तौर पर स्वीकार करने और इस उद्देश्य के लिए इसे 11 अन्य दस्तावेजों की लिस्ट में शामिल करने का निर्देश दिया था। हालांकि, उसने यह साफ़ किया था कि आधार का इस्तेमाल नागरिकता साबित करने के लिए नहीं किया जा सकता।
जस्टिस सूर्यकांत और जॉयमाल्या बागची की बेंच ने कहा था कि उन्हें विश्वास है कि चुनाव आयोग एक संवैधानिक संस्था होने के नाते एसआईआर प्रक्रिया को कानून और जरूरी नियमों के अनुसार ही कर रहा है। साथ ही, उसने कहा कि अगर कोई गैरकानूनी काम पाया जाता है तो वह हस्तक्षेप करेगा और पूरी प्रक्रिया रद्द कर सकता है। 15 सितंबर को अगली सुनवाई के दौरान जस्टिस कांत ने कहा था कि अगर हमें लगता है कि कुछ गैरकानूनी है तो लिस्ट के अंतिम प्रकाशन से हमें क्या फर्क पड़ेगा?
इस मामले में अगली सुनवाई 7 अक्टूबर को है और चुनाव आयोग 4 और 5 अक्टूबर को बिहार जाकर चुनाव की तैयारियों का जायजा लेगा। इसके बाद चुनाव की तारीखों की घोषणा होने की उम्मीद है।
SIR का मक़सद क्या बताया ईसीआई ने?
चुनाव आयोग ने बताया कि मतदाता सूची को सही और पारदर्शी बनाने के लिए यह कदम उठाया गया। हटाए गए मतदाताओं में मुख्य रूप से वे लोग शामिल हैं, जिनके नाम कई बार दर्ज थे, जो मृतक हो चुके हैं, या जिनका निवास स्थान बदल गया है। इसके अलावा, कुछ मतदाताओं के दस्तावेजों में खामियां पाई गईं, जिसके कारण उन्हें अयोग्य माना गया। हालाँकि, विपक्षी दलों ने आरोप लगाया है कि यह सब कुछ मतदाताओं के नाम हटाने के लिए किया गया और इसने चुनाव आयोग पर गंभीर आरोप लगाए। यह विवाद इतना बढ़ा कि मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुँच गया।