Bihar Elections BJP in Actions: बिहार विधानसभा चुनाव में प्रचंड जीत के एक दिन बाद बीजेपी ने पूर्व केंद्रीय मंत्री आरके सिंह और एमएलसी अशोक अग्रवाल समेत तीन लोगों को को पार्टी विरोधी गतिविधियों के आरोप में निलंबित कर दिया है। लेकिन सवाल ये है कि नतीजों के बाद क्योंः
बीजेपी की बिहार यूनिट ने शनिवार को पूर्व केंद्रीय मंत्री और पूर्व सांसद आरके सिंह को पार्टी से निलंबित कर दिया। यह कार्रवाई 2025 बिहार विधानसभा चुनाव में भाजपा के सबसे बड़े दल के रूप में उभरने के एक दिन बाद हुई, जहां पार्टी ने 89 सीटें जीतीं। सिंह के साथ-साथ बीजेपी एमएलसी अशोक अग्रवाल को भी निलंबित किया गया है।
बीजेपी ने नेताओं को पत्र भेजा
बीजेपी ने इन लोगों को भेजे पत्र में कहा है कि इन नेताओं की निरंतर पार्टी विरोधी बयानबाजी से पार्टी अनुशासन बनाए रखना आवश्यक हो गया था। बीजेपी के सूत्रों ने बताया गया कि सिंह के खिलाफ हाल के बिहार विधानसभा चुनावों के दौरान पार्टी-विरोधी गतिविधियों की शिकायतें मिली थीं। पूर्व केंद्रीय मंत्री अपने ही पार्टी नेताओं पर आरोप लगा रहे थे। अक्टूबर में, चुनाव से पहले सिंह ने फेसबुक पर एक पोस्ट साझा की थी, जिसमें उन्होंने मतदाताओं से आपराधिक पृष्ठभूमि वाले नेताओं को वोट न देने की अपील की। इस सूची में एनडीए के कई उम्मीदवार शामिल थे, जैसे जेडीयू के अनंत सिंह और भाजपा के सम्राट चौधरी (जो बिहार के उपमुख्यमंत्री भी हैं)।
पार्टी ने दोनों नेताओं को एक सप्ताह का समय दिया है कि वे अपनी स्थिति स्पष्ट करें और जवाब जमा करें।
निलंबन पत्र में क्या कहा गया?
एएनआई द्वारा साझा किए गए आरके सिंह को संबोधित निलंबन पत्र में लिखा है: “आपकी गतिविधियां पार्टी के खिलाफ हैं। यह पार्टी अनुशासन का उल्लंघन है। पार्टी ने इस मामले को गंभीरता से लिया है और इससे पार्टी को नुकसान पहुंचा है। इसलिए, निर्देशानुसार आपको पार्टी से निलंबित किया जा रहा है और पूछा जा रहा है कि आपको पार्टी से निष्कासित क्यों नहीं किया जाना चाहिए। आपको इस पत्र की प्राप्ति से एक सप्ताह के अंदर अपनी स्थिति स्पष्ट करने का निर्देश दिया जाता है।”
आर के सिंह के निलंबन की असल वजह
बिहार में विधानसभा चुनाव के पहले चरण के मतदान से ठीक दो दिन पहले बड़ा राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया था। पूर्व केंद्रीय ऊर्जा मंत्री आरके सिंह ने राज्य में 62,000 करोड़ रुपये के बिजली घोटाले का चौंकाने वाला खुलासा किया है।
सिंह ने आरोप लगाया है कि राज्य के बिजली विभाग में बड़े पैमाने पर धोखाधड़ी हुई है, जिसमें बिहार सरकार के मंत्रालय के कई अधिकारी शामिल हैं। उन्होंने इस पूरे मामले की गहन जाँच केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) से कराने की मांग की है। आरोपों में इस घोटाले का संबंध अडानी समूह से भी बताया गया।
ऊँची कीमत पर बिजली खरीदी गई
पूर्व मंत्री आरके सिंह ने दावा किया था कि यह घोटाला बिहार में एक थर्मल पावर प्लांट से जुड़ा है। उनके अनुसार, एक कंपनी को 'बढ़ी हुई कीमत' पर प्लांट लगाने की अनुमति दी गई, और फिर राज्य सरकार ने एक महँगी दर पर बिजली खरीद का समझौता किया। आरके सिंह ने आरोप लगाया, "यह बहुत बड़ा घोटाला है। अडानी समूह के साथ एक समझौता किया गया है कि सरकार 25 साल तक बिजली ₹6.075 प्रति यूनिट के हिसाब से खरीदेगी। अडानी को एक अत्यधिक बढ़ी हुई कीमत पर पावर प्लांट लगाने के लिए पैसे दिए गए हैं।"
आरके सिंह ने दावा किया कि इस सौदे से बिहार की जनता पर अतिरिक्त बोझ पड़ रहा है। उन्होंने कहा, "कुल मिलाकर, यह ₹1,40,000 करोड़ का घोटाला है।"
जब उनसे घोटाले की कुल राशि के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने कहा, "यह इतना बड़ा घोटाला है... बिहार प्रति वर्ष ₹2,500 करोड़ से अधिक दे रहा है। कुल मिलाकर, 25 वर्षों में ₹6,200 करोड़ (ज़्यादा) दे रहा है। जनता को ₹1.41 प्रति यूनिट अधिक भुगतान करना पड़ रहा है।" उन्होंने स्पष्ट किया कि कंपनी को पूंजी पर 15% रिटर्न के अलावा भी अतिरिक्त पैसा दिया जा रहा है।
इस खुलासे के बाद विपक्षी दलों ने तुरंत इसे राजनीतिक मुद्दा बना दिया था। कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने आरके सिंह के बयान का वीडियो साझा करते हुए आश्चर्य व्यक्त किया था। उन्होंने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा, "वरिष्ठ भाजपा नेता खुले तौर पर अपनी ही सरकार द्वारा उजागर किए गए घोटाले की सीबीआई जांच की मांग कर रहे हैं।"