इंसेफ़ेलाइटिस के ज्यादातर रोगी कुपोषण के शिकार हैं। साफ़ सफ़ाई का इंतजाम नहीं है, गंदगी के बीच रहते हैं। इनमें से ज़्यादातर दलित परिवारों के हैं। सवाल उठता है, ऐसा क्यों है?
अदालत ने राज्य सरकार को यह निर्देश भी दिया कि प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर ज़रूरी सुविधाएँ मुहैया कराई जाएँ ताकि बच्चों का इलाज अपने घर के नज़दीक ही हो जाए। ज़िला मुख्यालयों तक पहुँचने और सरकारी अस्पतालों में दाखिल करने में लगने वाले समय की वजह से भी मौतें हुई हैं।