बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) को मिली बुरी हार के एक दिन बाद ही पार्टी प्रमुख लालू प्रसाद यादव की बेटी रोहिणी आचार्य ने एक रहस्यमयी एक्स पोस्ट के जरिए राजनीति छोड़ने और परिवार से नाता तोड़ने का ऐलान कर दिया है। इस घोषणा ने यादव परिवार और आरजेडी में हलचल मचा दी है, जहां पहले से ही आंतरिक कलह की अफवाहें जोरों पर हैं। 

रोहिणी ने एक्स पर ट्वीट करके यह जानकारी दी। उन्होंने लिखा है- मैं राजनीति छोड़ रही हूँ और अपने परिवार से नाता तोड़ रही हूँ...
संजय यादव और रमीज़ ने मुझसे यही करने को कहा था... और मैं सारा दोष अपने ऊपर ले रही हूँ।


बिहार चुनाव में एनडीए ने ऐतिहासिक जीत हासिल की है। 243 सदस्यीय विधानसभा में एनडीए ने 202 सीटें जीतकर तीन-चौथाई बहुमत हासिल कर लिया, जिसमें भाजपा सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी। वहीं, आरजेडी-कांग्रेस गठबंधन को महज 25 सीटें ही मिलीं, जो 2020 के 75 सीटों से भारी गिरावट दर्शाती है। इस हार ने महागठबंधन को करारा झटका दिया, जबकि नीतीश कुमार की जेडीयू और भाजपा की जोड़ी ने 85 प्रतिशत से अधिक सफलता दर हासिल की।

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रोहिणी आचार्य, जो एक डॉक्टर हैं और कुछ वर्ष पहले अपने पिता लालू प्रसाद को किडनी दान करने के लिए चर्चा में आई थीं, ने शनिवार सुबह एक्स पर पोस्ट किया: "मैं राजनीति छोड़ रही हूं और मैं अपने परिवार को त्याग रही हूं... यह संजय यादव और रमीज ने मुझे करने को कहा था... और मैं सारी जिम्मेदारी खुद ले रही हूं।" इस पोस्ट ने सोशल मीडिया पर तहलका मचा दिया है। संजय यादव आरजेडी के राज्यसभा सांसद और तेजस्वी यादव के करीबी सलाहकार हैं, जबकि रमीज़ तेजस्वी के पुराने दोस्त हैं, जो उत्तर प्रदेश के एक राजनीतिक परिवार से ताल्लुक रखते हैं।

रोहिणी ने 2024 के लोकसभा चुनाव में सारण सीट से आरजेडी की ओर से चुनाव लड़ा था, लेकिन हार गई थीं। हाल के दिनों में वे परिवार और पार्टी से नाराजगी जाहिर करती नजर आ रही थीं। सितंबर 2025 में उन्होंने सोशल मीडिया से परिवार की तस्वीरें हटा ली थीं और केवल अपनी सोलो फोटो पोस्ट की थी। इसके अलावा, उन्होंने अपने पिता लालू प्रसाद को किडनी दान करने पर सवाल उठाने वालों को ललकारा था कि अगर उनकी 'बलिदान' पर शक है तो वे राजनीति से संन्यास ले लेंगी। इन घटनाओं ने यादव परिवार में दरार की अटकलें तेज कर दी थीं।

आरजेडी के वरिष्ठ नेताओं ने रोहिणी के बयान पर अभी तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है। संजय यादव और रमीज भी संपर्क के दायरे से बाहर हैं। हालांकि, पार्टी के एक प्रवक्ता ने कहा, "चुनावी हार-जीत जीवन का हिस्सा है। हम गरीबों की पार्टी हैं और संघर्ष जारी रखेंगे।" दूसरी ओर, एनडीए नेताओं ने इस घटना को आरजेडी की आंतरिक कलह का प्रमाण बताते हुए कहा कि विपक्षी गठबंधन की हार केवल आंकड़ों तक सीमित नहीं, बल्कि उनकी नीतियों और परिवारवाद की असफलता का परिणाम है।

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रोहिणी, जो सिंगापुर में अपने पति और बच्चों के साथ रहती हैं, ने हाल ही में विधानसभा चुनाव में भाई तेजस्वी यादव के लिए प्रचार किया था, लेकिन हार के बाद उनकी यह पोस्ट परिवार में तनाव को बता रही है। लालू ने पहले ही अपने बड़े बेटे तेज प्रताप यादव को पार्टी से निष्कासित कर चुके हैं, जिसका रोहिणी ने समर्थन किया था। अब यह सवाल उठ रहा है कि क्या यादव परिवार की राजनीतिक विरासत पर संकट मंडरा रहा है?

यह घटना बिहार की राजनीति में नया मोड़ ला सकती है, खासकर जब एनडीए सरकार गठन की तैयारियों में जुटा है।