मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने कहा है कि बिहार की मतदाता सूची अब 'शुद्ध' यानी पूरी तरह सही हो गई है, तो क्या सच में ऐसा हो गया? द रिपोर्टर्स कलेक्टिव ने तो पड़ताल में चौंकाने वाला दावा किया है। इसकी पड़ताल में पता चला है कि 14.35 लाख संदिग्ध डुप्लिकेट मतदाता हैं और 1.32 करोड़ मतदाताओं के नाम फर्जी या संदिग्ध पतों पर हैं। इसके अलावा एक-एक मतदाता के कई EPIC होने के दावे भी किए गए हैं। तो सवाल है कि मुख्य चुनाव आयुक्त का यह दावा कितना सही है कि सूची पूरी तरह शुद्ध है?
बिहार मतदाता सूची में लाखों डुप्लिकेट वोटर, फर्जी पते- रिपोर्ट; शुद्धता के दावे का क्या हुआ?
- बिहार
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- 7 Oct, 2025
एक रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि बिहार की मतदाता सूची में लाखों डुप्लिकेट नाम और फर्जी पते दर्ज हैं। चुनाव आयोग के ‘शुद्धता’ के दावे पर अब सवाल उठ रहे हैं।

प्रतीकात्मक तस्वीर
द रिपोर्टर्स कलेक्टिव ने बिहार के 243 विधानसभा क्षेत्रों की अंतिम मतदाता सूची का विश्लेषण किया है। इसमें 14.35 लाख संदिग्ध डुप्लिकेट मतदाताओं का पता चला। ये वे मतदाता हैं जिनके पास दो अलग-अलग वोटर आईडी हैं, लेकिन उनका नाम, रिश्तेदार का नाम समान है और उम्र में 0-5 साल का अंतर है। इनमें से 3.42 लाख मामले सबसे ज़्यादा चिंताजनक हैं, जहां दोनों वोटर आईडी पर उम्र पूरी तरह से मेल खाती है। इसके अलावा, हजारों ऐसे मामले सामने आए जहाँ एक ही व्यक्ति के पास तीन या अधिक इलेक्ट्रॉनिक पहचान पत्र यानी EPIC हैं।