Bihar Elections 2025: बिहार चुनाव के लिए सीट बंटवारे के फॉर्मूले की घोषणा के बावजूद एनडीए गठबंधन में घमासान चरम पर जा पहुंचा है। बीजेपी ने ऐसा खेल खेला है कि उसके सारे सहयोगी उलझ गए हैं। पटना से वरिष्ठ पत्रकार समी अहमद इस कहानी को बता रहे हैं।
नीतीश कुमार, नरेंद्र मोदी, चिराग पासवान
बिहार चुनाव अपडेट
- बिहार में सीटों के बंटवारे पर एनडीए में घमासान
- चिराग पासवान की वजह से एनडीए का खेल बिगड़ा
- जेडीयू ने 57 उम्मीदवारों की पहली सूची जारी की
- चिराग पासवान की सीटों पर भी जेडीयू उम्मीदवार
- उपेंद्र कुशवाहा ने कहा- एनडीए में सब ठीक नहीं
- अमित शाह ने उपेंद्र कुशवाहा को दिल्ली बुलाया
- हिन्दुस्तानी अवाम मोर्चा के जीतनराम मांझी भी नाराज
- मांझी ने चिराग की सीटों पर उम्मीदवार उतारे
एनडीए ने बिहार में चुनाव के लिए सीट शेयरिंग फार्मूला का ऐलान कर दिया और सीटों की संख्या भी बता दी लेकिन अब वहां रूठा रूठी का ऐसा दौर चल रहा है कि लोग सवाल पूछ रहे हैं कि क्या इसका असर वोट ट्रांसफर पर भी होगा। सबसे बड़ी नाराजगी वैसे तो मुख्यमंत्री और जदयू के अध्यक्ष नीतीश कुमार के बारे में बताई जा रही है लेकिन उनके नेता इसका खंडन कर रहे हैं। दूसरी तरफ कुशवाहा समाज के महत्वपूर्ण नेता माने जाने वाले उपेंद्र कुशवाहा और मांझी समुदाय के जीतन राम मांझी भी अपनी नाराजगी खुलकर बता और जता रहे हैं।
आमतौर पर एनडीए के बारे में यह दावा किया जाता है कि इसके घटक दल के नेता अपनी अपनी जाति के और अपने दूसरे समर्थकों के वोट साझा उम्मीदवारों को ट्रांसफर करने में कामयाब होते हैं। लेकिन इस बार जिस तरह उठा पटक और रूठा-रूठी का दौर चल रहा है उससे स्थानीय कार्यकर्ताओं में भारी गुस्सा बताया जा रहा है। इस वजह से यह शक पैदा हो गया है कि जहां दूसरे घटक दल का नेता उम्मीदवार बनेगा वहां एनडीए के कार्यकर्ता और समर्थक उसके साथ खड़े होंगे या नहीं।
इस बात को समझने के लिए राजनीतिक विश्लेषक 2024 के लोकसभा चुनाव में काराकाट सीट से उपेंद्र कुशवाहा की हार का उदाहरण दे रहे हैं। करकट सीट से उपेंद्र कुशवाहा एनडीए के उम्मीदवार थे लेकिन भोजपुरी गायक पवन सिंह के वहां से निर्दलीय उम्मीदवार बनने के बाद वोट ट्रांसफर जबरदस्त तरीके से प्रभावित हुआ था। इसीलिए इस बार भारतीय जनता पार्टी ने पवन सिंह को मनाने की पूरी कोशिश की और ऐसा लगता है कि वह इसमें कामयाब भी है।
काराकट सीट की कहानी यह है कि पवन सिंह के निर्दलीय उम्मीदवार खड़े होने से जहां राजपूत वोट उपेंद्र कुशवाहा को ट्रांसफर नहीं हो सके वहीं उपेंद्र कुशवाहा के समर्थकों ने आसपास की सीटों पर अपना वोट एनडीए को न देकर इंडिया/महागठबंधन के उम्मीदवारों को ट्रांसफर कर दिया। यही वजह है कि माना गया कि शाहाबाद में एनडीए को हार मिली और यहां तक कि आरा सीट से पूर्व मंत्री व केंद्र में पूर्व गृह सचिव आरके सिंह भाजपा के टिकट पर चुनाव हार गए।
अभी जिस तरह का माहौल है उससे अगर उपेंद्र कुशवाहा और जीतन राम मांझी के समर्थकों का वोट एनडीए के दूसरे घटक दलों के उम्मीदवारों की तरफ नहीं होता तो इसका उलटा असर भी होगा यानी दूसरे दलों के समर्थक भी जीतन राम मांझी और उपेंद्र कुशवाहा के उम्मीदवारों को वोट ट्रांसफर करने से भी कतराएंगे। हालांकि यह कहा जा रहा है कि यह बड़े पैमाने पर नहीं होगा लेकिन अगर हार जीत का अंतर कम वोटों से होता है तो इस बात का हिसाब सबको हो जाएगा।
ऐसा लगता है कि चिराग पासवान को जिस तरह भारतीय जनता पार्टी ने 29 सीट दिलाने में कामयाबी हासिल की है, उस पर उपेंद्र कुशवाहा और जीतन राम मांझी के अलावा खुद नीतीश कुमार भी बहुत नाराज हैं। इसकी पहली बानगी जीतन राम मांझी के उस ऐलान से मिली जिसमें उन्होंने कम से कम दो ऐसी जगह पर अपने उम्मीदवार देने की बात कही है जहां सीट शेयरिंग फार्मूला के तहत चिराग पासवान अपने उम्मीदवार खड़े करेंगे।
राष्ट्रीय लोक मोर्चा के अध्यक्ष व राज्यसभा सदस्य उपेंद्र कुशवाहा एनडीए में सीटों के बंटवारे के बाद भी नाराज हैं। पहले उन्हें कम सीट मिलने की शिकायत थी और अब कुछ सीटों के नाम बदले जाने से उनकी नाराजगी और बढ़ गई है। मामला यहां तक पहुंचा है कि उन्होंने अपने कार्यकर्ताओं से कहा है कि वह एनडीए के किसी भी उम्मीदवार के नामांकन में शामिल न हों।
इधर जदयू का हाल भी कम दिलचस्प नहीं है। भागलपुर के जदयू सांसद अजय मंडल ने इस्तीफे की पेशकश कर दी तो गोपालपुर के विधायक गोपाल मंडल टिकट न मिलने की वजह से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के आवास के पास धरने पर बैठ गए। इसके अलावा जदयू के ही पूर्व विधायक महेश्वर यादव भी मुख्यमंत्री आवास के पास धरने पर बैठ गए।
जदयू के वरिष्ठ नेता और मंत्री विजय कुमार चौधरी ने कहा कि जिन पुराने कार्यकर्ताओं को टिकट नहीं मिल पाया है तो उनकी नाराजगी स्वाभाविक है और यह पार्टी के लिए एक समस्या है। उन्होंने कहा कि सीटों की संख्या तय हो चुकी है हालांकि सीटों के नाम पर अभी बातचीत चल रही है।
वैसे तो पार्टी बदलने के बाद नेताओं के सुर भी बदल जाते हैं लेकिन जेडीयू को छोड़कर आरजेडी में शामिल होने वाले पूर्व सांसद संतोष कुशवाहा की यह बात ध्यान देने योग्य है कि नीतीश कुमार को अंधेरे में रखकर फैसले लिए जा रहे हैं।
इधर टिकट बंटवारे के बाद आलोचना का निशान बन रहे जदयू के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष संजय झा ने सफाई देते हुए कहा है कि जो कुछ भी तय हो रहा है वह नीतीश कुमार से बात करने के बाद ही तय हो रहा है। दिलचस्प बात यह है कि जीतन राम मांझी ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का गुस्सा एकदम जायज है और वह उनके गुस्से से सहमत हैं।दरअसल जीतन राम मांझी इस बात पर मुहर लगा रहे थे कि जदयू की जो सीटिंग सीटें हैं वैसी सीटें भी चिराग पासवान को दी गई हैं।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि जिस तरह नीतीश कुमार और उनके कई बड़े नेता सीट बंटवारे को लेकर नाराज चल रहे हैं उससे ऐसा ना हो कि उनके समर्थकों का वोट चिराग पासवान के उम्मीदवारों को ट्रांसफर ना हो पाए। यहां तक कि यह भी संभव है कि कुछ जगहों पर भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवारों को नीतीश कुमार और जदयू के परंपरागत वोटर अपना समर्थन न दें।