क्या लालू परिवार टूटने के कगार पर है? राजद नेता रोहिणी आचार्य ने खुलासा किया कि उन्हें गंदी गालियाँ दी गईं, चप्पल से मारने की कोशिश की गई और अपमानजनक बातें कही गईं। रोहिणी ने आख़िर इतने गंभीर आरोप क्यों लगाए?
तेजस्वी यादव रोहिणी आचार्य
लालू की लाड़ली का 'अनाथ' हो जाना! गंदी गालियाँ, चप्पल तानकर मारने की कोशिश, किडनी दान पर करोड़ों का इल्ज़ाम। रोहिणी आचार्य ने तेजस्वी और उनके 'लोगों' पर बम फोड़ा। यादव परिवार से रिश्ता तोड़कर राजनीति को 'अलविदा' तक कह डाला! बिहार चुनावी हार के अगले ही दिन मचा यह बवाल क्या लालू परिवार में टूट का साफ़ संकेत है?
राष्ट्रीय जनता दल यानी आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव की बेटी रोहिणी आचार्य के साथ आख़िर ऐसा क्या हुआ कि उन्होंने अब सीधे तौर पर तेजस्वी के ख़िलाफ़ मोर्चा खोल दिया है? एक दिन पहले ही उन्होंने परिवार से रिश्ता तोड़ने और राजनीति से संन्यास लेने की घोषणा की थी। अब रविवार को उन्होंने दावा किया है कि उन्हें गंदी गालियाँ दी गईं और चप्पल उठाकर मारने की कोशिश की गई। यह अब कोई दबी-छुपी बात नहीं रह गई, बल्कि रोहिणी ने यह सब खुलेआम एक्स पर लिखा है।
सोशल मीडिया पर भावुक पोस्ट में रोहिणी ने लिखा, 'कल एक बेटी, एक बहन, एक शादीशुदा महिला, एक मां का अपमान किया गया, उसको गंदी-गंदी गालियाँ दी गईं, चप्पल उठाकर मारने की कोशिश की गई। मैंने अपने आत्मसम्मान से समझौता नहीं किया, सच्चाई के सामने झुकी नहीं, और सिर्फ इसी कारण मुझे यह अपमान सहना पड़ा।'
उन्होंने आगे लिखा, 'कल एक बेटी मजबूरी में रोते हुए माता-पिता और बहनों को छोड़कर चली आई; उन्होंने मुझे मायके से खींचकर अलग कर दिया... उन्होंने मुझे अनाथ बना दिया।'
लालू को किडनी देने का मुद्दा क्यों उठाया?
थोड़ी देर बाद दूसरी पोस्ट में रोहिणी ने आरोप लगाया कि उन्हें कहा गया कि उन्होंने पिता लालू यादव को किडनी दान की, बदले में करोड़ों रुपए लिए और लोकसभा टिकट हासिल किया। उन्होंने लिखा, "कल मुझे गाली दी गई, 'गंदी' कहा गया, आरोप लगाया गया कि पापा को 'गंदी' किडनी ट्रांसप्लांट करवाया, करोड़ों रुपए लिए, टिकट खरीदा और वह किडनी डलवाई।" रोहिणी ने आगे चेताया कि कोई भी उनकी राह न अपनाए और किसी परिवार को रोहिणी जैसी बेटी या बहन न मिले।डॉक्टर से गृहिणी, फिर राजनीति में प्रवेश
राजनीति में आने से पहले रोहिणी डॉक्टर थीं। डॉक्टर की डिग्रीधारी रोहिणी ने गृहिणी बनना चुना और वह सिंगापुर में बस गए अपने पति के साथ रहने लगीं। पिछले साल उन्होंने बिहार के सारण लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा, लेकिन असफल रहीं। लेकिन शनिवार को उन्होंने राजनीति और परिवार छोड़ने की घोषणा कर दी। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा, "मैं राजनीति छोड़ रही हूं और परिवार से नाता तोड़ रही हूं। यही संजय यादव और रमीज ने मुझसे कहा था और मैं सारी जिम्मेदारी ले रही हूं।"
संजय यादव आरजेडी सांसद हैं, जबकि उत्तर प्रदेश की राजनीतिक परिवार से आने वाले रमीज अपेक्षाकृत अज्ञात हैं। दोनों तेजस्वी यादव के करीबी हैं और अब तक इस घटनाक्रम पर चुप्पी साधे हुए हैं।
तेजस्वी और सहयोगियों पर सीधा हमला
बिहार चुनाव में महागठबंधन की हार पर मीडिया से बात करते हुए रोहिणी ने कहा, 'मेरा कोई परिवार नहीं है। आप तेजस्वी यादव, संजय यादव और रमीज से पूछिए। इन्होंने ही मुझे परिवार से बाहर फेंक दिया। ये कोई जिम्मेदारी लेने को तैयार नहीं। पूरे देश में सवाल उठ रहा है कि पार्टी इतनी बुरी तरह क्यों हारी। संजय यादव और रमीज का नाम लेते ही अपमान, बाहर निकालना और गालियां मिलती हैं।'
अटकलें हैं कि रोहिणी लालू के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव को इस साल मई में पार्टी से निकाले जाने से नाराज थीं। हालाँकि, विधानसभा चुनावों से पहले वे तेजस्वी के लिए प्रचार करती नज़र आईं।
बिहार चुनावों में आरजेडी की हार
बिहार विधानसभा चुनावों में आरजेडी को अपमानजनक हार मिली। पार्टी की सीटें 75 से घटकर महज 25 रह गईं, जबकि महागठबंधन को कुल 35 सीटें मिलीं। एनडीए ने 202 सीटें जीतकर सत्ता बरकरार रखी।भाजपा का हमला
बीजेपी ने आरजेडी और लालू यादव पर रोहिणी के परिवार से निकलने को लेकर हमला बोला। पार्टी ने इसे लालू की पितृसत्तात्मक और महिला विरोधी सोच का प्रतिबिंब बताया। भाजपा नेता अमित मालवीय ने कहा कि किडनी दान करने के बावजूद रोहिणी को तेजस्वी की वजह से दरकिनार कर दिया गया। बीजेपी नेता निशिकांत दुबे ने तेजस्वी पर तंज कसते हुए उनकी मुगल बादशाह औरंगजेब से तुलना की, जिसने पिता शाहजहां को कैद कर और बड़े भाई दारा शिकोह को मारकर सत्ता हथिया ली थी।
यादव परिवार में दरारें
इस घटनाक्रम ने यादव परिवार की आंतरिक क़लह को सामने ला दिया है। स्वास्थ्य कारणों से सक्रिय राजनीति से दूर लालू प्रसाद यादव की बेटी का यह कदम आरजेडी के लिए बड़ा झटका है। पार्टी अब हार के कारणों का विश्लेषण कर रही है, लेकिन परिवारिक विवाद ने नई चुनौतियाँ खड़ी कर दी हैं।
तेजस्वी यादव ने अब तक कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है। राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि यह विवाद बिहार में विपक्षी एकता को और कमजोर कर सकता है। यह मामला बिहार की राजनीति में परिवारवाद, आत्मसम्मान और महिला सशक्तिकरण जैसे मुद्दों पर नई बहस छेड़ रहा है।