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उपसचिव की गिरफ्तारी राजनीतिक कार्रवाई: भूपेश बघेल

ईडी यानी प्रवर्तन निदेशालय ने छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री के उपसचिव को गिरफ्तार किया है। अधिकारी की पहचान सौम्या चौरसिया के रूप में की गई है। सूत्रों के हवाले से मीडिया रिपोर्टों में कहा गया है कि जाँच एजेंसी सौम्या से पिछले दो महीने में कई बार पूछताछ कर चुकी है।

गिरफ्तार सरकारी अधिकारी अवैध खनन के एक मामले में केंद्रीय एजेंसियों के रडार पर थीं। ईडी द्वारा तलाशी लिए जाने से पहले आयकर विभाग ने उनसे जुड़ी संपत्तियों पर छापा मारा था। ईडी द्वारा पूछताछ के लिए बुलाए जाने के बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा है कि सौम्या के ख़िलाफ़ यह राजनीतिक कार्रवाई है और इसके ख़िलाफ़ वह पूरी ताक़त से लड़ेंगे।

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एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार आयकर विभाग ने पिछले साल जून में कहा था कि उसने छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में छापेमारी के बाद 100 करोड़ रुपये से अधिक के कथित हवाला रैकेट का भंडाफोड़ किया। हवाला लेनदेन के तहत बिना औपचारिक बैंकिंग प्रणाली के ही नकदी का हेर-फेर हो जाता है।

चौरसिया के घर पर फ़रवरी 2020 में भी छापा मारा गया था। मुख्यमंत्री ने केंद्रीय एजेंसी द्वारा मारे गए छापे को राजनीतिक प्रतिशोध कहा था और दावा किया था कि यह उनकी सरकार को अस्थिर करने का प्रयास था।

ed arrests chhattisgarh chief minister deputy secretary - Satya Hindi
फ़ोटो साभार: ट्विटर/@Surender_8K

ईडी ने एक घोटाले के सिलसिले में तलाशी अभियान चलाया और मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम 2002 के तहत गिरफ्तारियाँ की हैं। आरोप है कि एक कार्टेल द्वारा छत्तीसगढ़ में ले जाए जाने वाले प्रत्येक टन कोयले के लिए कथित रूप से 25 रुपये प्रति टन की अवैध उगाही की गई थी। इस मामले में वरिष्ठ नौकरशाहों, व्यापारियों राजनेताओं और बिचौलियों पर आरोप लगाया गया था। ईडी ने आयकर विभाग द्वारा दर्ज प्राथमिकी के आधार पर मनी लॉन्ड्रिंग जांच शुरू की थी। 

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री बघेल ने हाल ही में आरोप लगाया था कि ईडी और आईटी अधिकारियों के हिंसा का सहारा लेने की शिकायतें उनके पास पहुँच रही हैं और यह अस्वीकार्य है।

बता दें कि केंद्रीय एजेंसियों पर कांग्रेस सहित पूरा विपक्ष बदले की कार्रवाई करने का आरोप लगाता रहा है। ईडी की कार्रवाई को लेकर बीते कई महीनों से हंगामा चल रहा है। तमाम विपक्षी दलों के नेताओं ने आरोप लगाया है कि ईडी मोदी सरकार के इशारे पर उनके नेताओं को परेशान कर रही है। बीते कुछ सालों में विपक्ष के कई नेताओं को ईडी के साथ ही दूसरी जांच एजेंसियां भी समन भेज चुकी हैं और कई बड़े नेताओं की गिरफ्तारी भी हो चुकी है। सोनिया गांधी और राहुल गांधी से नेशनल हेराल्ड मामले में हुई कथित गड़बड़ियों के बारे में ईडी की पूछताछ को लेकर देशभर का सियासी माहौल बेहद गर्म रहा था। कांग्रेस ने ईडी को सरकार की कठपुतली बताया था।

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अंग्रेजी अखबार द इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, जांच एजेंसी ईडी ने साल 2014 में मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद से 121 नेताओं के खिलाफ कार्रवाई की है। इन 121 नेताओं में से 115 विपक्षी दलों के नेता हैं। इसका मतलब ईडी के निशाने पर 95 फीसदी विपक्षी नेता रहे जबकि यूपीए सरकार के 2004 से 2014 यानी 10 साल के कार्यकाल में ईडी ने 26 राजनेताओं के खिलाफ जांच की थी और इसमें से 14 राजनेता विपक्षी दलों के थे। यह आंकड़ा 54 फ़ीसदी है।
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क़मर वहीद नक़वी
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