छत्तीसगढ़ के बिलासपुर रेलवे स्टेशन के पास मंगलवार शाम को एक भीषण रेल हादसा हो गया। एक यात्री ट्रेन और एक मालगाड़ी के बीच टक्कर में कम से कम 8 लोगों की मौत हो गई और 14 घायल हो गए। यह हादसा दोपहर करीब 4 बजे हुआ, जब गेवरा रोड-बिलासपुर एमईएमयू लोकल ट्रेन गटोरा और बिलासपुर स्टेशनों के बीच मालगाड़ी से पीछे से टकरा गई। रेलवे अधिकारियों ने तत्काल राहत और बचाव कार्य शुरू कर दिए हैं।

टक्कर इतनी जबरदस्त थी कि यात्री ट्रेन का इंजन मालगाड़ी के डिब्बे पर चढ़ गया। दुर्घटना में कई डिब्बे पटरी से उतर गए तथा ओवरहेड तार और सिग्नल प्रणाली को गंभीर क्षति पहुंची, जिससे मार्ग पर रेल परिचालन बाधित हो गया। ट्रेन के पहले कुछ डिब्बे बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गए, और कई यात्री फंस गए। हादसे के बाद घटनास्थल पर अफरा-तफरी मच गई। एनडीआरएफ यानी नेशनल डिजास्टर रिस्पॉन्स फोर्स की टीमों ने हाइड्रोलिक कटर का इस्तेमाल कर घायलों को बाहर निकाला।
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मीडिया रिपोर्टों में सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि प्रारंभिक जांच से पता चलता है कि यह दुर्घटना तब हुई जब एमईएमयू लोकल ट्रेन सिग्नल पार कर गई और खड़ी मालगाड़ी के पिछले हिस्से से टकरा गई। द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार बिलासपुर कलेक्टर संजय अग्रवाल ने बताया, 'मालगाड़ी की आखिरी बोगी यात्री ट्रेन की पहली बोगी से टकराई। हादसे के समय ट्रेन कोरबा जिले के गेवरा से बिलासपुर की ओर आ रही थी।' 

मृतकों को सहायता राशि की घोषणा

रेलवे के साउथ ईस्ट सेंट्रल रेलवे के सीपीआरओ ने एक बयान जारी कर कहा है कि आज बिलासपुर स्टेशन के पास एक मालगाड़ी और एमईएमयू लोकल के बीच टक्कर हुई। मृतकों के परिवारों को 10 लाख रुपये, गंभीर रूप से घायलों को 5 लाख रुपये और मामूली चोट वाले यात्रियों को 1 लाख रुपये की एक्स-ग्रेशिया दी जाएगी। उन्होंने आगे बताया कि राहत और बचाव अभियान तेजी से चल रहा है। वरिष्ठ रेल अधिकारी घटनास्थल पर निगरानी कर रहे हैं, और घायलों को नजदीकी अस्पतालों में भर्ती कराया गया है। रेलवे प्रशासन प्रभावित यात्रियों को हर संभव सहायता और समन्वय प्रदान कर रहा है।
शुरुआती रिपोर्टों में मौतों की संख्या 4 से 6 तक बताई गई, लेकिन आधिकारिक तौर पर बिलासपुर कलेक्टर ने 5 मौतों की पुष्टि की थी। बाद में यह संख्या बढ़कर आठ हो गई। कई रिपोर्टों के अनुसार, घटनास्थल पर 4 लोग फंसे हुए थे, जिन्हें निकालने में देरी हुई। घायलों की संख्या 14 से अधिक बताई जा रही है, जिनमें से कुछ की हालत गंभीर है। एक स्थानीय पुलिस अधिकारी ने बताया, 'हादसे में ट्रेन के डिब्बों में फंसे यात्रियों को निकालने के लिए हाइड्रोलिक मशीनों का सहारा लिया गया।' 
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राहत कार्य: हेल्पलाइन नंबर जारी

रेलवे ने अप्रत्याशित स्थिति से निपटने के लिए हेल्पलाइन नंबर जारी किए हैं: 07752-270649, 07752-270650, 07752-270651। ये नंबर यात्रियों और उनके परिजनों के लिए उपलब्ध हैं। एसईसीआर ने कहा कि सभी संसाधनों को तैनात किया गया है और घायलों के इलाज के लिए हर उपाय सुनिश्चित किया जा रहा है। घटनास्थल पर रेलवे, पुलिस, एनडीआरएफ और स्थानीय प्रशासन की संयुक्त टीमें कार्यरत हैं। एक रेलवे अधिकारी ने बताया कि ट्रेन के डिरेलमेंट को रोकने के लिए क्रेन और अन्य उपकरण मंगाए गए हैं।

जांच का आदेश

हादसे के कारणों का पता लगाने के लिए कमिश्नर ऑफ रेलवे सेफ्टी यानी सीआरएस द्वारा विस्तृत जांच का आदेश दिया गया है। प्रारंभिक अनुमान के अनुसार, सिग्नलिंग में खराबी या ड्राइवर की चूक हो सकती है, लेकिन आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है। सीआरएस की रिपोर्ट में कारणों का पता लगाकर भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के उपाय सुझाए जाएंगे। यह हादसा बिलासपुर-कटनी रेल लाइन पर हुआ, जो देश के सबसे व्यस्त रूटों में से एक है।
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कई ट्रेनें डायवर्ट, यातायात ठप

हादसे के कारण बिलासपुर-कोरबा रूट पर ट्रेन संचालन बुरी तरह प्रभावित हुआ है। कई पैसेंजर और एक्सप्रेस ट्रेनें डायवर्ट कर दी गई हैं, जबकि कुछ को रुकना पड़ा। रेलवे ने यात्रियों से वैकल्पिक रूटों का उपयोग करने और हेल्पलाइन से संपर्क करने की अपील की है। एक रेल अधिकारी ने कहा, 'ट्रैक को साफ करने में समय लगेगा, इसलिए अगले कुछ घंटों में सामान्य संचालन बहाल होने की संभावना कम है।'

यह हादसा भारतीय रेलवे की सुरक्षा व्यवस्था पर एक बार फिर सवाल खड़े करता है। हाल के वर्षों में बालासोर, ओडिशा और अन्य जगहों पर हुए रेल हादसों के बाद रेलवे ने सिग्नलिंग और ट्रैक मॉनिटरिंग में सुधार का दावा किया था, लेकिन यह घटना उन प्रयासों की पड़ताल की मांग करती है।