एक बार 'दिनमान' पत्रिका के लिए (1983 ) मैं दादा कोंडके का इंटरव्यू कर रहा था। मैंने सवाल किया -''आप की फिल्मों में तमाम डायलॉग्स दो अर्थ वाले क्यों होते हैं? दादा कोंडके का जवाब था -"किसने कहा कि दो अर्थ वाले होते हैं? मेरे सभी डायलॉग का अर्थ एक ही होता है। दूसरा अर्थ आपके दिमाग में है।"
दिल को क्यों छू लेती है ‘चमकीला’?
- सिनेमा
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- 18 Apr, 2024

अमर सिंह चमकीला एक बायोपिक है। चमकीला ने दो शादियां की थीं। उन्होंने दूसरी शादी की तो अपनी पहली पत्नी के बारे में दूसरी को नहीं बताया था। पढ़िए फिल्म की समीक्षा।
मैंने उनसे दूसरा सवाल किया कि आपकी हीरोइन भद्दे इशारे करती रहती है, क्यों? इस पर दादा कोंडके ने कहा कि मेरी हीरोइन नौ वार (आम मराठी स्त्रियों जैसी 9 गज) की साड़ी पहनती है और कभी कोई अश्लील इशारे नहीं करती। दादा कोंडके का साफ-साफ कहना था कि अश्लीलता तो आपके दिमाग में है। बेशक, दादा कोंडके की बातें अपनी जगह सही होंगी। लेकिन उनकी लोकप्रियता में उनकी फिल्मों के संवादों का बड़ा योगदान रहा है। दादा कोंडके कोली समुदाय के थे, जो दलित मछुआरों में गिने जाते हैं।