वर्ष 2002 में बेस्ट फ़ॉरेन फ़िल्म कैटेगरी में ऑस्कर जीतने वाली फ़िल्म नो मैन्स लैंड इसलिए याद है क्योंकि उसी श्रेणी में आमिर ख़ान की लगान को भी नामित किया गया था। नो मैन्स लैंड ने ऑस्कर जीतकर कई भारतीयों का दिल तोड़ा लेकिन जब मैंने वह फ़िल्म देखी तो लगान उसके आसपास भी नहीं थी। एक कसी हुई कहानी में युद्ध की व्यथा ऐसी कि अंत सीने के आर-पार हो जाये। बोस्नियाई लेखक और निर्देशक डेनिस तानोविक की बतौर डायरेक्टर वह पहली फ़िल्म थी। पिछले दिनों दिल्ली के इंडिया हैबीटाट सेंटर में विनोद कापड़ी द्वारा निर्देशित  पायर को देखते हुए वह फ़िल्म दिमाग में कौंधी। तानोविक के उलट कापड़ी इससे पहले भी कुछ फ़िल्मों का निर्देशन कर चुके हैं लेकिन पायर उनकी अब तक की सारी फ़िल्मों को पीछे छोड़ देती है।