आजकल हर महीने कोई ना कोई ऐसी फिल्म आती है जिसका राजनीतिक एजेंडा होता है। राजनीतिक फिल्में तो पहले भी बनती रही हैं, लेकिन अब जो फिल्में राजनीति को लेकर बनाई जा रही हैं उनका मुख्य उद्देश्य होता है सत्तारूढ़ पार्टी की मदद करना। चुनाव के ठीक पहले इस तरह की फिल्मों की बाढ़ आ गई है। इस सप्ताह भी एक ऐसी ही फिल्म लगी है 'रजाकार'। यह फिल्म तेलुगु और हिन्दी में रिलीज हुई है। यह हैदराबाद की 'द कश्मीर फाइल्स' है। वैसी ही हिंसा, वैसा ही हिन्दू- मुस्लिम बंटवारा।
हैदराबाद की कश्मीर फाइल्स जैसी है 'रजाकार'
- सिनेमा
- |
- |
- 28 Apr, 2024

हिटलर के प्रचार मंत्री गोएबल्स ने भी फिल्मों का उपयोग किया था। इसके नतीज़े बेहद ख़राब रहे थे। क्या फिल्मों का इस्तेमाल अब प्रोपेगेंडा फैलाने के लिए किया जा रहा है? पढ़िए, रजाकार फिल्म की समीक्षा।
यह फिल्म हैदराबाद को भारत में विलय करने के मुद्दे पर बनी है। फिल्म बताती है कि हैदराबाद के भारत में विलय को लेकर जो बेचैनी सरदार पटेल में थी, वह जवाहरलाल नेहरू में नहीं थी। अंचल के गांवों में हिन्दुओं पर भीषण अत्याचार हो रहे थे और तत्कालीन जवाहरलाल नेहरू फैसला लेने में डर रहे थे। यह फिल्म वोटों के ध्रुवीकरण के लिए बनी लगती है और लोकसभा चुनाव के बीच में फिल्म आई है।