दिल्ली दंगा मामले में दिल्ली पुलिस, गृह मंत्रालय, सरकार, नफ़रत फैलाने वाला मीडिया का एक धड़ा, इन सभी पर गंभीर सवाल उठाए गए हैं। सिटिज़न कमेटी ने उत्तर पूर्वी दिल्ली दंगे से जुड़े हर तथ्यों का अध्ययन करने के बाद यह रिपोर्ट जारी की है। समिति ने कहा है कि कैसे दंगे भड़कने से पहले नफ़रती माहौल बनाया गया, कैसे मीडिया का इसके लिए इस्तेमाल हुआ और कैसे दंगे के बाद सही तरीक़े से जाँच नहीं की गई व कैसे कुछ लोगों को जेल में डालने के लिए ग़लत धाराओं का इस्तेमाल किया गया।
'दिल्ली दंगा से पहले नफ़रत फैलाई गई थी, मीडिया भी ज़िम्मेदार': रिपोर्ट
- दिल्ली
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- 7 Oct, 2022
उत्तर पूर्वी दिल्ली दंगा आख़िर कैसे भड़का था? नफ़रत फैलाने के लिए कौन ज़िम्मेदार था? क्या कार्रवाई की गई? जानिए सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली एक कमेटी ने क्या निष्कर्ष निकाला है।

जिस समिति ने यह रिपोर्ट दी है उसके अध्यक्ष सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस मदन बी लोकुर हैं। इस समिति में मद्रास और दिल्ली उच्च न्यायालयों के पूर्व मुख्य न्यायाधीश जस्टिस एपी शाह, दिल्ली उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस आर एस सोढ़ी, पटना हाई कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस अंजना प्रकाश और भारत सरकार के पूर्व गृह सचिव जी के पिल्लै शामिल हैं।