दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण के खिलाफ रविवार को इंडिया गेट के पास सैकड़ों लोग, जिनमें सबसे ज्यादा युवक थे, प्रदर्शन करने उतरे। प्रदर्शनकारियों ने तख्तियां थामीं जिन पर लिखा था "स्मॉग से आजादी!" और "सांस लेना मुझे मार रहा है"। इस दौरान दिल्ली का वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 370 के स्तर पर पहुंच गया, जो 'बहुत खराब' श्रेणी में आता है। दिल्ली में जेन ज़ी पहली बार साफ पर्यावरण के लिए प्रदर्शन करने पहुंचे।
एक प्रदर्शनकारी ने कहा, "यह हेल्थ इमरजेंसी है, न कि दोषारोपण का खेल। ट्रायल-एंड-एरर से हमारा भविष्य बर्बाद हो चुका है। सरकार को अब साफ हवा की नीति तुरंत लागू करनी चाहिए।" दूसरे ने हाथ में बैनर लहराते हुए कहा, "अमीर लोग एयर प्यूरीफायर खरीद सकते हैं या पहाड़ों पर भाग सकते हैं, लेकिन हम कहां जाएं? हर सर्दी में सांस लेने के लिए संघर्ष करना पड़ता है। हवा सरकारी नहीं, सबकी है।"
प्रदर्शनकारी ज्योत्सना सिंह ने एक टीवी चैनल से बातचीत में कहा, "गरीब, सड़क पर सामान बेचने वाले, ऑटो चालक सबसे ज्यादा प्रभावित हैं। राज्य की बसें और अन्य वाहन प्रदूषण के लिए 80% जिम्मेदार हैं। वाहन समस्या हैं, हां, लेकिन सरकार क्या कर रही है। नागरिक कैसे बदलेंगे? यह सिर्फ नीतियों की आड़ में अपनी नाकामी छिपाने का तरीका है।"
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राहुल गांधी का कड़ा बयान

नेता विपक्ष राहुल गांधी ने युवकी की गिरफ्तारी पर कड़ी आपत्ति जताई। उन्होंने एक्स पर लिखा- स्वच्छ हवा का अधिकार एक बुनियादी मानवाधिकार है। शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन का अधिकार हमारे संविधान द्वारा सुनिश्चित किया गया है। शांतिपूर्ण ढंग से स्वच्छ हवा की मांग करने वाले नागरिकों के साथ अपराधियों जैसा व्यवहार क्यों किया जा रहा है? वायु प्रदूषण करोड़ों भारतीयों को प्रभावित कर रहा है, हमारे बच्चों और हमारे देश के भविष्य को नुकसान पहुँचा रहा है। लेकिन वोट चोरी के ज़रिए सत्ता में आई सरकार को इसकी कोई परवाह नहीं है, न ही वह इस संकट को हल करने का प्रयास कर रही है। हमें स्वच्छ हवा की मांग कर रहे नागरिकों पर हमला करने के बजाय, अभी वायु प्रदूषण पर निर्णायक कार्रवाई करने की आवश्यकता है। 
दिल्ली विश्वविद्यालय की एक छात्रा ने कहा, "हर सर्दी मुझे खांसी में खून आता है, सीने में दर्द होता है, फिर भी सरकार पंजाब के किसानों या पिछली सरकार को दोष देती रहती है। क्यों नहीं साफ विकल्पों के लिए फंडिंग करती?" एक अन्य प्रदर्शनकारी प्रेरणा मेहरा ने सवाल उठाया, "क्या सरकार का AQI डेटा अब भरोसेमंद है? प्रदूषण बढ़ते ही मॉनिटरिंग स्टेशनों पर पानी छिड़काव के वीडियो वायरल हो रहे हैं। क्या नंबरों में हेरफेर हो रहा है या पानी बर्बादी कर गिरावट दिखाई जा रही है?"
वसंत कुंज के 76 वर्षीय बुजुर्ग ने मास्क हटाते हुए कहा, "सरकारें बदलती रहती हैं, लेकिन लोग पीड़ित होते हैं। मैं अपने पोते-पोतियों के लिए चिंतित हूं। हर तरफ निर्माण चल रहा है।" एक छोटे बच्चे ने तख्ती थामी: "मैं दिल्ली में अपने दोस्तों के साथ रहना और स्कूल जाना चाहता हूं! हमें सांस लेने में मदद करें।"
प्रदर्शन में शामिल एक डॉक्टर ने कहा, "दिल्ली में हर तीसरा बच्चा फेफड़ों की क्षति का शिकार है, वे साफ हवा वाले बच्चों से लगभग 10 साल कम जीते हैं। लंबे समय तक प्रदूषण से हृदय रोग, स्ट्रोक और अस्थमा होता है। यह गर्भ से शुरू होकर बुढ़ापे तक पीछा करता है। डब्ल्यूएचओ कहता है कि ज्यादातर रोकथाम योग्य है, लेकिन कार्रवाई कहां है?"

प्रदर्शन शांतिपूर्ण था, कोई हिंसा नहीं, सिर्फ नारे और तख्तियां। फिर भी दिल्ली पुलिस और अर्धसैनिक बलों ने दंगा नियंत्रण गियर में पहुंचकर कई प्रदर्शनकारी युवकों, बच्चों सहित, को हिरासत में ले लिया। पर्यावरण कार्यकर्ता भवरीन कंधारी ने कहा, "हमने मुख्यमंत्री से मिलने का समय मांगा था, मना कर दिया। इतने माता-पिता यहां इसलिए हैं क्योंकि उनके बच्चे पीड़ित हैं। यह साफ हवा की मांग है, राजनीति नहीं।"

आयोजकों ने आरोप लगाया कि प्रदर्शन से पहले पुलिस का दबाव था। तीन दिनों में डीसीपी से एसएचओ तक लगभग 100 कॉल्स और एफआईआर की धमकियां। डीसीपी (नई दिल्ली) देवेश कुमार महला ने हिरासत को "एक उपाय" बताया। पुलिस ने कानून-व्यवस्था का हवाला दिया। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, "इंडिया गेट पर प्रदर्शन की अनुमति नहीं थी।" डीसीपी महला ने कहा, "सुरक्षा बनाए रखने के लिए कुछ प्रदर्शनकारी हिरासत में लिए गए। जंतर मंतर ही निर्धारित जगह है।" दिल्ली पुलिस ने बीएनएसएस की धारा 163 के तहत आदेश जारी किया था।
पर्यावरण कार्यकर्ता विमलेंदु झा ने कार्रवाई की निंदा की: "प्राइवेट मॉनिटर कई जगहों पर AQI 999 पार दिखा रहे हैं। ठोस कार्रवाई के बजाय शांतिपूर्ण प्रदर्शन दबाया जा रहा। लोग सांस लेने का अधिकार मांग रहे हैं। 15 दिनों से कुछ नहीं। कोई लॉकडाउन, कोई शटडाउन नहीं, बस क्लाउड सीडिंग जैसे ध्यान भटकाने वाले तरीके।"
दिल्ली आप प्रमुख सौरभ भारद्वाज ने कहा कि प्रदर्शन सिविल सोसाइटी का था, गैर-राजनीतिक। "प्रदूषण पर गैर-राजनीतिक प्रदर्शन का स्वागत है। डीपीसीसी, सीपीसीबी, सीएक्यूएम, आईएमडी जैसे संस्थान डेटा में हेरफेर कर रहे हैं। सरकार अपने डेटा से छेड़छाड़ करे तो भरोसे की कमी होती है। इसलिए बुद्धिजीवी सड़कों पर उतरे। प्रदूषण पिछले दशक से है, लेकिन अब डेटा मैनिपुलेशन चिंताजनक है।"
दिल्ली पर्यावरण मंत्री मंजिंदर सिरसा ने जवाब दिया, "आप ने 10 साल दिल्ली पर राज किया, हवा-पानी जहर बना दिया, ऑड-ईवन जैसे गिमिक पर पैसा बर्बाद किया। पिछले सात महीनों में रेखा गुप्ता के नेतृत्व में हमने हाई-राइज में स्मॉग गन लगाए, धूल नियंत्रण के लिए वॉटर स्प्रिंकलर, निर्माण निगरानी, 8000 उद्योगों को नोटिस, सभी बसें इलेक्ट्रिक कीं। हम युद्धस्तर पर काम कर रहे हैं, लेकिन आप के 10 साल के जहर को एक झटके में साफ नहीं कर सकते।"
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दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण स्थिति 

सोमवार सुबह दिल्ली में धुंध भरी सुबह थी। CPCB डेटा के अनुसार सुबह 7 बजे AQI 372 'बहुत खराब' श्रेणी में था। बवाना में 412, वजीरपुर 397, जहांगीरपुरी 394 जैसे इलाके 'गंभीर' श्रेणी में हैं। कुछ जगहों पर AQI 999 तक पार (प्राइवेट मॉनिटर) हो गया।  GRAP-3 अभी लागू नहीं, केवल GRAP-1 और 2 की समीक्षा चल रही है। आने वाले दिनों में 'बहुत खराब' हवा रहने की संभावना है। स्टबल बर्निंग का योगदान बढ़कर 31% तक पहुंचा है।  विशेषज्ञों ने बच्चों, बुजुर्गों को बाहर निकलने से बचने की सलाह दी।