क्या सोनिया गांधाी का नाम नागरिकता प्राप्त करने से पहले ही मतदाता सूची में दर्ज था? आख़िर किस आधार पर उनके ख़िलाफ़ आरोप लगाया गया है? दिल्ली कोर्ट ने सोनिया गांधी को नोटिस क्यों जारी किया है?
दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने मंगलवार को कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष और सीपीपी चेयरपर्सन सोनिया गांधी को नोटिस जारी किया है। सोनिया गांधी को भारतीय नागरिकता मिलने से पहले मतदाता सूची में उनका नाम शामिल होने का आरोप लगाया गया है। इस मामले में धोखाधड़ी और जालसाजी के तहत आपराधिक मामला दर्ज करने की मांग वाली एक क्रिमिनल रिवीजन पिटीशन पर कोर्ट ने उनका और दिल्ली पुलिस का जवाब मांगा है।
स्पेशल जज विशाल गोगने ने यह नोटिस विकास त्रिपाठी नाम के एक शख्स द्वारा दाखिल क्रिमिनल रिवीजन याचिका पर जारी किया। त्रिपाठी ने निचली अदालत के उस आदेश को चुनौती दी है जिसमें सोनिया गांधी के खिलाफ एफ़आईआर दर्ज करने से इनकार कर दिया गया था। याचिकाकर्ता का दावा है कि 1980 में नई दिल्ली संसदीय क्षेत्र की मतदाता सूची में सोनिया गांधी का नाम शामिल किया गया, जबकि उन्होंने 1983 में ही भारतीय नागरिकता प्राप्त की थी।
निचली अदालत ने क्यों खारिज की थी शिकायत?
11 सितंबर 2025 को एडिशनल चीफ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट वैभव चौरसिया ने त्रिपाठी की मूल शिकायत यह कहते हुए खारिज कर दी थी कि याचिकाकर्ता ने सोनिया गांधी के खिलाफ धोखाधड़ी और जालसाजी के प्रावधानों को लागू करने की कोशिश की है, लेकिन अपराध तय करने के लिए ज़रूरी मूलभूत तत्व ही ग़ायब हैं।
कोर्ट ने कहा था कि याचिकाकर्ता केवल 1980 की मतदाता सूची के एक असत्यापित फोटोकॉपी की फोटोकॉपी पर निर्भर है। कोई प्रमाणित दस्तावेज नहीं दिया गया। केवल खोखले आरोपों से आपराधिक मामला नहीं बनता। अदालत ने तब यह भी कहा था कि नागरिकता से जुड़े सवाल संविधान और क़ानून के तहत केंद्र सरकार के विशेष अधिकार क्षेत्र में आते हैं, जिन पर आपराधिक अदालत फ़ैसला नहीं कर सकती। मतदाता सूची में नाम जोड़ने या हटाने का एकमात्र अधिकार भारत के चुनाव आयोग का है।निचली अदालत ने कहा था कि सोनिया गांधी के ख़िलाफ़ यह शिकायत वास्तव में कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग है, जिसमें सिविल या सामान्य विवाद को आपराधिक रंग देकर अदालत में क्षेत्राधिकार पैदा करने की कोशिश की गई है।
अदालत ने साफ कहा था कि ऐसी युक्ति को वह स्वीकार नहीं कर सकती और शिकायत खारिज कर दी।
अब रिवीजन कोर्ट में क्या होगा?
स्पेशल जज विशाल गोगने ने अब सोनिया गांधी और दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने को कहा है। इसके बाद कोर्ट तय करेगा कि निचली अदालत का आदेश सही था या उसमें कोई कानूनी गलती हुई है और क्या एफ़आईआर दर्ज करने का निर्देश दिया जाना चाहिए।
कांग्रेस का जवाब
नोटिस की खबर आते ही कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने पत्रकारों से कहा, 'ये सारे आरोप बिल्कुल झूठे और निराधार हैं। अगर कोई एक भी प्रमाण है तो सामने लाकर दिखाएं। सोनिया जी ने पहला वोट तब डाला जब वे भारतीय नागरिक बन चुकी थीं। उन्होंने अपना पूरा जीवन इस देश की सेवा में लगा दिया। बार-बार इस तरह के झूठे मामले केवल राजनीतिक बदले की भावना से दाखिल किए जा रहे हैं।' कांग्रेस के अन्य नेताओं ने भी इसे राजनीति से प्रेरित कानूनी उत्पीड़न करार दिया है।मामला कितना पुराना है?
यह शिकायत पहली बार 2023-2024 में दाखिल की गई थी। उस समय भी मजिस्ट्रेट कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया था, लेकिन याचिकाकर्ता ने रिवीजन दाखिल कर दी। सोनिया गांधी की नागरिकता 30 अप्रैल 1983 को दर्ज की गई थी, जबकि 1980 और 1982 की कुछ मतदाता सूचियों में उनका नाम दिखने का दावा किया जा रहा है। हालांकि, ये दावे केवल असत्यापित फोटोकॉपी पर आधारित हैं और निर्वाचन आयोग ने कभी इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं की। अब सभी की नजरें इस बात पर हैं कि राउज एवेन्यू कोर्ट इस पुराने और विवादास्पद मामले में क्या फैसला सुनाती है।