loader

ऑक्सीजन संकट बरक़रार, अदालती हस्तक्षेप भी नाकाम क्यों?

राजधानी दिल्ली में ऑक्सीजन संकट के बीच दिल्ली और केंद्र की सरकारें क्या दिल्ली हाई कोर्ट की आंखों में धूल झोंक रही हैं? यह सवाल इसलिए उठ रहा है क्योंकि अदालत को विश्वास दिलाए जाने के बावजूद ऑक्सीजन का संकट खत्म नहीं हो रहा है।

ऑक्सीजन की कमी से बेचैनी और इस बाबत आवाज़ उठाने का काम किसी सरकार ने नहीं किया, बल्कि खुद अस्पतालों ने यह आवाज़ उठायी है। केंद्र और दिल्ली की सरकारें तो एक-दूसरे पर या किसी तीसरे पर अपनी नाकामी का ठीकरा फोड़ने में जुटी रहीं। 

राजनीतिक चतुराई 

दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा है कि जो कोई भी ऑक्सीजन की आपूर्ति में बाधा डाल रहा है उसका नाम बताया जाए, वह चाहे कोई भी होगा उसे वह फाँसी पर लटका देगा। दिल्ली सरकार लगातार हरियाणा और उत्तर प्रदेश में दिल्ली के लिए सप्लाई किए जा रहे ऑक्सीजन में स्थानीय स्तर पर बाधा डालने की बात कहती रही है।

ये बातें इतनी राजनीतिक चतुराई से कही गयी होती हैं कि न तो ऑक्सीजन की सप्लाई में बाधा डालने वाला पकड़ में आता है और न ही यह आरोप ख़त्म होता है।

ख़ास ख़बरें

किसको फाँसी?

होना तो यह चाहिए कि दिल्ली सरकार स्पष्ट रूप से ऑक्सीजन की सप्लाई में बाधा बने अधिकारियों के नाम बताती और दिल्ली हाई कोर्ट सख्त कार्रवाई कर एक संदेश देता कि जनहित के काम में बाधा बनने का अधिकार किसी को नहीं है।

दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा है कि यह नाम केंद्र सरकार को भी बताया जाए ताकि उस पर कार्रवाई की जा सके। लेकिन क्या ऐसा होगा? अगर ऐसा नहीं होता है तो खुद दिल्ली हाई कोर्ट की टिप्पणियों की गंभीरता नहीं रह जाएगी। 

न भीख माँगी, ना उधार माँगा और न ही की चोरी

आपको याद होगा कि दिल्ली हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा था कि 'चाहे भीख माँगो, उधार लो या चोरी करो, लेकिन ऑक्सीजन दो।' लेकिन उस टिप्पणी का क्या हुआ? दिल्ली हाईकोर्ट 21 अप्रैल से लगातार सुनवाई कर रही है। केंद्र और राज्य सरकारों को लताड़ लगा रही है। मगर, दिल्ली में ऑक्सजीन के लिए हाहाकार ख़त्म नहीं हो रहा है।

स्थिति यह है कि दिल्ली को उसके कोटे का 380 मीट्रिक टन ऑक्सीजन नहीं मिल रहा है। अदालत में दिल्ली सरकार की ओर से दी गयी जानकारी के अनुसार, शुक्रवार को महज 300 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की ही सप्लाई हुई।

कोटा बढ़ाए जाने के बाद दिल्ली को 480 मीट्रिक टन ऑक्सीजन मिलना चाहिए था। अब दिल्ली हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा है कि वह बताए कि दिल्ली को उसके कोटे का ऑक्सीजन कब तक मिल पाएगा?

क्या कहा अदालत ने?

अदालत ने कहा 'आपने (केंद्र सरकार ने) हमें आश्वस्त किया था (21 अप्रैल को) कि दिल्ली को हर दिन 480 मीट्रिक टन मिलेगा। हमें बताएं कब यह आएगा? हर दिन 480 मीट्रिक टन दिखाई तो दे।'

गृह मंत्रालय के आदेश से भी नहीं बदली स्थिति

दिल्ली ऐसा प्रदेश है जहाँ राज्य सरकार की नुमाइंदगी मुख्यमंत्री भी करते हैं और लेफ्टिनेंट गवर्नर के जरिए केंद्र सरकार भी। खुद दिल्ली हाई कोर्ट की नियमित सुनवाई के चार दिन बाद भी अगर दिल्ली ऑक्सीजन की सप्लाई के संकट से जूझ रही है तो दोषी किसे कहेंगे? 

जब अदालत सख्त हुई तो केंद्रीय गृह मंत्रालय ने ऑक्सीजन सप्लाई निर्बाध रखने का आदेश जारी कर दिया और इसके लिए आपदा क़ानून का सहारा लिया। मगर, वह आदेश क्या ऑक्सीजन की सप्लाई में सुधार ला सका? 

delhi high court fails to mitigate oxygen crisis - Satya Hindi

ऑक्सीजन का आयात अप्रैल में संभव नहीं!

प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने 10 राज्यों के प्रमुखों की बैठक कर ली जहाँ कोविड के हालात खराब हैं और ऑक्सीजन की माँग तेजी से बढ़ी है। मगर, इस बैठक का ऑक्सीजन की सप्लाई पर क्या और कितना असर पड़ा है, यह महत्वपूर्ण बात है। घोषणाएँ तो बहुत हुईं। ऑक्सीजन ट्रेन, ऑक्सीजन का आयात, एअर लिफ्टिंग, ऑक्सीजन प्लांट का निर्माण। मगर, नतीजा क्या निकला?

ऑक्सीजन के आयात के लिए 16 अप्रैल को निविदा निकाली गयी। 28 अप्रैल को यह निविदा खुलेगा और उसके बाद जिन्हें काम मिलेगा उसका रोडमैप सामने आएगा कि कब तक आयात हो पाएगा। पूरा अप्रैल निकलने के बाद भी एक बूंद ऑक्सीजन का आयात नहीं हो सकेगा। 

delhi high court fails to mitigate oxygen crisis - Satya Hindi

‘ऑक्सीजन ट्रेन’ में लगे 6 दिन

ऑक्सीजन ट्रेन चलाने की घोषणा रेल मंत्री पीयूष गोयल ने 18 अप्रैल को की। महाराष्ट्र के नागपुर और नासिक रोड पर ऑक्सीजन उतरते-उतरते 23 अप्रैल की रात और 24 अप्रैल की सुबह हो चुकी थी। यूपी को भी शनिवार 24 अप्रैल की सुबह ही ऑक्सीजन मिल पाया। तेलंगाना को 28 अप्रैल तक ऑक्सीजन मिल सकता है। दिल्ली के लिए प्रक्रिया शुरू ही हुई है। कब तक मिलेगा, पता नहीं।

महाराष्ट्र हो या यूपी- 6 दिन लग गये ऑक्सीजन हासिल करने में। ऑक्सीजन की कमी से मरीजों की मौत जैसी आपात स्थिति को देखते हुए क्या इतना समय लगना चाहिए था? इस दौरान प्रांतीय और केंद्र सरकार के नुमाइंदे कहते रहे कि कालाबाजारी के कारण ऑक्सीजन की कमी हो रही है। वास्तव में पूरे देश की आंखों में धूल झोंका जा रहा था। 

ऑक्सीजन की बढ़ी माँग के बीच राज्य सरकारों को ज़रूरी कोटा तक केंद्र सरकार उपलब्ध नहीं करा पायी। इसके लिए सप्लाई चेन जिम्मेदार है। देर से उठाया गया कदम या लापरवाही भी इसे कह सकते हैं। कालाबाज़ारी तो अभाव से पैदा हुई अवश्यंभावी और दर्दनाक परिस्थिति है।

एअर लिफ्टिंग पर जोर नहीं?

कहा गया कि एअर लिफ्टिंग के जरिए ऑक्सीजन की सप्लाई में वक़्त बचाया जाएगा। यह काम केवल तेलंगाना सरकार खाली टैंकरों को ओडिशा के आंगुल और राउरकेला प्लांट तक पहुँचाने में कर सकी है। ऑक्सीजन लदे टैंकर सड़क मार्ग से तेलंगाना पहुंचेंगे। इससे तीन दिन की बचत ज़रूर हुई। मगर, दूसरे प्रदेशो और खासकर दिल्ली के लिए यही रास्ते क्यों नहीं अपनाए गये? दिल्ली में हाईकोर्ट लगातार अपडेट ले रही हैं और दोनों सरकारों के नुमाइंदे कोर्ट में मौजूद हैं। 

delhi high court fails to mitigate oxygen crisis - Satya Hindi

दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली सरकार से पूछा है कि ऑक्सीजन प्लांट का निर्माण करने के बारे में क्यों नहीं सोचा जाता? निश्चित रूप से इसमें थोड़ा वक़्त लगेगा, लेकिन पहल तो की जानी चाहिए थी। इंडियन एअर फोर्स के उस कदम की तारीफ करनी होगी जो जर्मनी से 23 ऑक्सीजन प्लांट को एअर लिफ्ट कर अपनी ज़िम्मेदारी पूरी कर रही है। मगर, यह काम भी अभी पूरा नहीं हुआ है।

कौन किससे झूठ बोल रहा है, कौन किससे क्या छिपा रहा है और यह सब क्यों हो रहा है- यह सामने आने में वक़्त लगेगा। मगर, आम जनता कोविड की महामारी से निपटने में सरकार की विफलता का खामियाजा जान देकर भुगत रही है। क्या अदालती हस्तक्षेप के बाद भी स्थिति सुधर पाएगी या फिर यह रस्म अदायगी बनकर रह जाएगी?

सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
प्रेम कुमार
सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें

अपनी राय बतायें

दिल्ली से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें